भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी अर्थशास्त्र के नोबेल तक कैसे पहुंचे, जानिए पूरा सफर…

अभिजीत बनर्जी के साथ उनकी पत्नी इश्तर डूफलो, माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से दिया गया है।
भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी अर्थशास्त्र के नोबेल तक कैसे पहुंचे, जानिए पूरा सफर…

न्यूज – अभिजीत बनर्जी ये नाम आपने सोमवार से पहले शायद ही सुना हो, लेकिन अब ये नाम लोकप्रिय हो गया है। अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र में नोबेल दिया जाएगा। ये नोबेल अभिजीत बनर्जी को उनकी पत्नी इश्तर डूफलो, और अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को संयुक्त रूप से दिया गया।

इन तीनों को दुनिया भर में ग़रीबी दूर करने के लिए एक्सपेरिमेंट अप्रोच के लिए ये सम्मान दिया गया है, माना जा रहा है कि बीते दो दशक के दौरान इस अप्रोच का सबसे अहम योगदान रहा, कुछ सालों पहले बनर्जी और डुफ्लो राजस्थान के उदयपुर में काम कर रहे थे।

अभिजीत बनर्जी भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्‍त्री हैं, उनका जन्‍म मुंबई में 21 फरवरी 1961 को हुआ था, लेकिन उनकी पढाई कोलकाता में हुई। उनकी मां का नाम निर्मला बनर्जी और पिता दीपक बनर्जी हैं, मां निर्मला सेंटर फॉर स्‍टडीज इन सोशल साइंसेज में अर्थशास्‍त्र की प्रोफेसर रह चुकी हैं, जबकि पिता दीपक कलकत्ता के प्रसिडेंट कॉलेज में अर्थशास्‍त्र विभाग के अध्‍यक्ष थे।

अभिजीत बनर्जी ने एमआईटी की लेक्‍चरार डॉक्‍टर अरुणधति तुली बनर्जी से विवाह किया था, लेकिन बाद में उनका तलाक हो गया, इसके बाद अभिजीत ने साल 2015 में अर्थशास्‍त्री एस्‍थर डफलो के साथ विवाह किया,

कोलकाता यूनिवर्सिटी से 1981 में बीएससी करने के बाद अभिजीत बनर्जी ने 1983 में जेएनयू दिल्ली से एमए की पढ़ाई पूरी की, 1988 में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की। वह अभी मैसाचुसेट्स इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी में अर्थशास्‍त्र के प्रोफेसर हैं।

बनर्जी पुअर इकनॉमिक्‍स समेत चार किताबों के लेखक हैं, उनकी किताब 'पुअर इकनॉमिक्‍स' को गोल्‍डमैन सैश बिजनेस बुक ऑफ द ईयर का खिताब मिल चुका है।

वह तीन अन्‍य किताबों के संपादक रह चुके हैं और उन्‍होंने दो डॉक्‍यूमेंट्री फिल्‍मों का निर्देशन भी किया है। वह संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ द्वारा 2015 के बाद के विकास एजेंडा के लिए बनाए गए अग्रणी लोगों केक हाई-लेवल पैनल के सचिव भी रह चुके हैं।

भारत में हुए 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले कांगेस पाटी ने अपने मेनिफेस्टो में गरीबी मिटाने के लिए न्याय योजना बनाई थी, उसमें राहुल गांधी ने अभिजीत बनर्जी से ही राय ली थी। इसके योजना में अभिजीत बनर्जी ने कई बदलाव करवाये थे।

स्वीडन के स्टॉकहोम में 7 से 14 अक्टूबर तक नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की है। और 14 अक्टूबर को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई।

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