जयपुर (डेस्क न्यूज) – "कुछ नशा तिरंगे की आन का, कुछ नशा मातृभूमि की शान का है
हम लहराएंगे हर जगह ये तिरंगा, नशा ये हिंदुस्तान की शान का है"
"किसी दिन चाँद पर हम लोग भी रॉकेट से जाएँगे
ये माना चाँद अभी इक रेत का मैदान है लेकिन
किसी दिन जा के हम इस को हसीं जन्नत बनाएँगे…" और आज हमने वो कारनामा भी कर दिखाया, जन्नत ना सही इतिहास तो रच ही दिया। आसमान में वो सुराख भी कर दिखाया जो दुनिया करने से कतराती है..
आज इसरो ने एक बार फिर मौका दिया पूरी दुनिया को भारत पर गर्व करने का, इसरो ने मौका दिया देश के नागरिकों को अभिमान करने का..
जी हां चंद्रयान 2 का इंतजार खत्म हुआ और आज सोमवार को दोपहर 2 बजकर 43 मिनट पर इसरो ने वो कारनामा कर दिखाया जिसका देश को नहीं दुनिया को भी कब से इंतजार था।
चंद्रयान 2 की लान्चिंग सफलता पुर्वक हो गई है।
इसरो के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को लेकर रॉकेट सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भर चुका है। इस मिशन के लिए रविवार शाम छह बजकर 43 मिनट पर उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। इसरो के प्रमुख के सिवन ने कहा है कि मिशन चंद्रयान-2 पूरी तरह से कामयाब सबित हुआ और चंद्रमा पर नई चीजों की खोज करने में सफल होगा।
चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने की जिम्मेदारी इसरो के वैज्ञानिकों ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी-एमके 3 को दी है। 640 टन वजनी रॉकेट की लागत 375 करोड़ रुपये है।
पृथ्वी और चांद की दूरी करीब 3 लाख 84 हजार 400 किलोमीटर है, उड़ान के कुछ ही मिनटों के बाद जीएसएलवी-मार्क-3 रॉकेट 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर देगा, वहां के चांद की यात्रा शुरू होगी,लैंडर विक्रम सितंबर या अक्टूबर में चांद पर पहुंचेगा।
इसरो इस प्रोजेक्ट पर 11 साल से काम कर रहा था। जो अब सफल हुआ है, चंद्रयान 2 भारत का दूसरा मून मिशन है, भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर और रोवर उतारेगा, जो वहां के विकिरण और तापमान का अध्ययन करेगा।
इस मिशन की सबसे बड़ी बात ये है कि ये पूरी तरह से स्वदेशी है, इस मिशन की कामयाबी के बाद भारत चांद की सतह पर लैंड करने वाला चौथा देश बन गया है, इसके पहले अमेरिका, रुस और चीन अपने यान को चांद की सतह पर भेज चुके हैं, लेकिन अब तक किसी ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास कोई यान नहीं उतारा है।
भारत ने अपना पहला मून मिशन चंद्रयान-1 2008 में लॉन्च किया था, उस वक्त इस प्रोजेक्ट में करीब 450 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, इस बार इसरो का प्रोजेक्ट 1 हजार करोड़ रुपए का है,
लॉन्चिंग देखने के लिए देशभर से हजारों लोग श्रीहरिकोटा पहुंचे। इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक रॉकेट के प्रक्षेपण को देखने के लिए कुल 7,500 लोगों ने ऑनलाइन रजिस्टेशन कराया था।