डेस्क रिपोर्ट – देश में भीड़ के हाथों बढ़ती हत्याएं के वाक़ये और कथित असहिष्णुता की घटनाओं से चिंतित 49 कलाकारों और बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़त लिख कर सख़्त क़दम उठाने की मांग की थी,
इन्होंने मोदी सरकार पर कई तरह के गंभीर सवाल उठाए थे, अब इनके जवाब में 62 अन्य हस्तियों ने पूरे मामले में सरकार बचाव करते हुए पत्र लिखा है,
प्रसून जोशी, अभिनेत्री कंगना रनौत, भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख और गीतकार प्रसून जोशी, राज्यसभा सदस्य सोनल मानसिंह, पंडित विश्व मोहन भट्ट, पल्लवी जोशी, विवेक अग्निहोत्री, रिटायर्ड मेजर जनरल पीके मलिक और फ़िल्मकार मधुर भंडारकर समेत 62 हस्तियों ने एक चिट्ठी लिखी है,
इन लोगों ने 49 बुद्धिजीवियों के खत को 'चुनिंदा नाराज़गी और झूठा नैरेटिव' क़रार दिया है.
खत में लिखा है 23 जुलाई, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखे खुले ख़त ने हमें अचंभे में डाल दिया… इसमें देश की चेतना के 49 स्वयंभू रखवालों और अभिभावकों ने अपनी चुनिंदा चिंता व्यक्त की है और साफ़तौर पर राजनैतिक पक्षपात का प्रदर्शन किया है…"
"हमलोगों ने इस ख़त पर दस्तखत किये हैं, हमारी नज़र में यह चुनिंदा नाराज़गी ग़लत क़िस्से को सच साबित करने के इरादे से व्यक्त की गई है, यह प्रधानमंत्री के अथक प्रयासों को नकारात्मक रूप से दिखाने की कोशिश है."
"उस ख़त पर दस्तखत करने वालों ने तब चुप्पी साधी थी जब आदिवासी और हाशिये पर खिसक चुके लोग नक्सलियों का शिकार बन रहे थे. वे उस समय चुप्पी साधे थे जब अलगाववादियों ने कश्मीर में स्कूलों को जलाने का फरमान जारी किया था. वे उस वक्त भी चुप थे जब भारत को तोड़ने की आवाज़ उठी थी"
इसमें लिखा गया है, "ऐसा लगता है कि बोलने और अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर भारत की स्वतंत्रता, एकता और अखंडता को धोखा दिया जा सकता है"
"वास्तव में मोदी शासन में हम अलग राय रखने और सरकार और व्यवस्था की आलोचना करने की सबसे अधिक आज़ादी देख रहे हैं। असहमति की भावना अब से ज़्यादा मज़बूत कभी नहीं रही है।
इसी हफ़्ते 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री मोदी को एक खुला ख़त लिखा था, जिस पर फ़िल्म जगत से अनुराग कश्यप, अदूर गोपालकृष्णन, अपर्णा और कोंकणा सेन जैसे बड़े नामों और जाने माने इतिहासकार, लेखक रामचंद्र गुहा ने भी हस्ताक्षर किए थे.
उस पत्र में मांग की गई थी कि लिंचिंग की घटनाओं को तुरंत रोका जाए।
उस चिट्ठी में लिखा गया था कि मुस्लिम देश की आबादी का 14 फ़ीसदी हैं, लेकिन वो ऐसे 62 फ़ीसदी अपराधों के शिकार बने हैं, चिट्ठी के मुताबिक़ ऐसे 90 फ़ीसदी अपराध मई 2014 के बाद हुए, जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे