डेस्क न्यूज – कश्मीर पर आज मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लिया..अटकलें तो पहले से थी लेकिन जिसका सपना हर हिंदुस्तानी को था वो आज पूरा हुआ कश्मीर हमारा हुआ..गृहमत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जैसे ही कहा कि राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अनुच्छेद 370 का किसी भी खंड लागू नहीं माना जाएगा। राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया। लेकिन देशभर में खुशी का माहौल शुरू हुआ और कई शहरों में ढोल-नगाड़े बजने लगे।
मोदी है तो मुमकिन है ये नारा वाकई सच होता दिखाती होता है…मुद्दा सवेंदनशील है और इसकी तैयारी सरकार ने पहले से की थी। ऐसे ही थोडी मोदी सरकार की प्रंशसा होती है।
अमित शाह ने आर्टिकल 370 को हटाने की सिफारिश की है। आर्टिकल 370 हटाने के लिए गृहमंत्री ने संसद में प्रस्ताव पेश किया। अब जम्मू और कश्मीर अलग राज्य नहीं होगा..
ये जम्मू कश्मीर होगा, साथ ही लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया है। और दोनो यानी की जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश होगें। यानी की इन पर सीधा सीधा केंद्र सरकार का दखल होगा। राज्यसभा में लगातार हंगामा जारी है…अमित शाह जब कश्मीर पर ये बोल रहे थे तो संसद में कश्मीर बचाओं,लोकतंत्र बचाओ के नारे लगे।
अमित शाह ने चर्चा के दौरान कहा कि हमनें ये वोट बैंक के लिए नहीं देश के लिए किया है। इस पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ये देश के लोकतंत्र के लिए काला दिन है। 1947 में 2 राष्ट्र सिद्धांत को खारिज करने और भारत के साथ संरेखित करने के जम्मू और कश्मीर नेतृत्व के निर्णय ने पीछे छोड़ दिया। भारत सरकार की धारा 370 को रद्द करने का एकतरफा निर्णय गैरकानूनी और असंवैधानिक है जो भारत को जम्मू-कश्मीर में एक व्यावसायिक शक्ति बना देगा।
क्या है आर्टिकल 35 A है
जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय आर्टिकल 35A से होते थे। इसके तहत 14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे,वही स्थायी निवासी हैं। स्थायी निवासियों को ही राज्य में जमीन खरीदने, सरकारी रोजगार हासिल करने और सरकारी योजनाओं में लाभ के लिए अधिकार मिले हैं। किसी दूसरे राज्य का निवासी जम्मू-कश्मीर में जाकर स्थायी निवासी के तौर पर न जमीन खरीद सकता है, न ही राज्य सरकार उन्हें नौकरी दे सकती है। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर लेती है तो उसके अधिकार छिन जाते हैं। हालांकि पुरुषों के मामले में ये नियम अलग है।
धारा 370 पर विवाद क्यों?
जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता, झंडा भी अलग है। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है. देश के सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेश जम्मू-कश्मीर में मान्य नहीं होते हैं। संसद जम्मू-कश्मीर को लेकर सीमित क्षेत्र में ही कानून बना सकती थी। रक्षा, विदेश, संचार छोड़कर केंद्र के कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होते। केंद्र का कानून लागू करने के लिये जम्मू-कश्मीर विधानसभा से सहमति ज़रूरी। जम्मू कश्मीर में 1976 का शहरी भूमि कानून लागू नहीं होता है, धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI और RTE लागू नहीं होता, जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष नहीं, 6 वर्ष होता है।