डेस्क न्यूज़- किसानों और सरकार के बीच 8 नवंबर को हुई बैठक में कोई हल नही निकला। वही आज किसान आदोलन और कृषि कानूनो से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी हैं। क्युकि इस आंदोलन से जूड़ी कई याचिकाएं कोर्ट
में दायर की गई हैं। कुछ याचिकाकर्ताओं ने आंदोलन खत्म करने की मांग की हैं। तो वही कई याचिकाकर्ताओं ने तीनो कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की हैं। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और
जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच इन्हीं सब याचिकाओं पर अब सुनवाई करेगी। इस मामले में 17 दिसंबर को आखिरी सुनवाई हुई थी। अब देखना होना कि क्या यह मामला सुप्रीम कोर्ट में सुलझेगा ?
सरकार और किसानों का रुख?
वही 8 जनवरी को किसान संगठनों और सरकार के बीच बात हुई थी। इस बैठक के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर सुनवाई है।
इसे लेकर किसानों को कहा कि आप कोर्ट में बात रख सकते हैं। कोर्ट जो कहेगा, सब मान लेंगे।
लेकिन किसान कोर्ट जाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है।
किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के
जनरल सेक्रेटरी हन्नान मुल्ला ने कहा हैं
कि जब तक कानून वापस नहीं होगा। तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों का कहना यह है कि हमारी लड़ाई सीधे सरकार से हैं। कानून की संवैधानिकता को तो पहले भी चुनौती नहीं दी थी। उसको हम अभी भी चैलेंज नहीं कर रहे हैं। उनका कहना यह हैं कि सुप्रीम कोर्ट का काम यह देखना हैं कि कानून संविधान के दायरे में है या नहीं। हम कोर्ट गए ही नहीं, इसलिए इससे हमें फर्क नहीं पड़ता कि सुप्रीम कोर्ट उस पर क्या कहता है। हम यह चाहते हैं कि सरकार तीनों कानूनों को वापस ले, क्योंकि ये कानून पूंजीपतियों के हित में हैं किसानों के लिए नहीं।