सोमवार रात को भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के अधिकारी और दो सैनिक मारे गए थे। यह घटना तब हुई जब दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद सामान्य स्थिति गलवान घाटी के पास सोमवार रात को आगे बढ़ रही थी। भारतीय सेना की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सोमवार रात को गलवान घाटी में डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया के दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं।
इस दौरान भारतीय सेना के एक अफसर और दो जवान शहीद हो गए हैं। दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी इस मामले को शांत करने के लिए वर्तमान में एक बड़ी बैठक कर रहे हैं। आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच मई के महीने की शुरुआत से ही लद्दाख सीमा के पास तनावपूर्ण माहौल था। चीनी सैनिक भारत द्वारा निर्धारित सीमा को पार कर पैलॉन्ग लेक, गलवान वैली में आए थे। चीन की ओर से यहां लगभग पांच हजार सैनिक तैनात थे। इसके अलावा, सैन्य सम्मान भी किया गया था।
वही आपको बता दे की : चीनी सेना एलएसी के पास धीरे-धीरे अपना रणनीतिक भंडार बढ़ाती रही है और उसने वहां तोपें एवं अन्य भारी सैन्य उपकरण पहुंचाए हैं. मौजूदा गतिरोध के शुरू होने की वजह पैंगोंग सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत के एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण का चीन द्वारा किया जा रहा तीखा विरोध है. इसके अलावा गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर भी चीन विरोध जता रहा है.
पैंगोंग सो में फिंगर क्षेत्र में सड़क को भारतीय जवानों के गश्त करने के लिहाज से अहम माना जाता है. भारत ने पहले ही तय कर लिया है कि चीनी विरोध की वजह से वह पूर्वी लद्दाख में अपनी किसी सीमावर्ती आधारभूत परियोजना को नहीं रोकेगा. दोनों देशों के सैनिक गत पांच और छह मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो क्षेत्र में आपस में भिड़ गए थे. इस घटना में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे. इस झड़प में भारत और चीन के करीब 250 सैनिक शामिल थे. इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को उत्तरी सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास लगभग 150 भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे.
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