डेस्क न्यूज़- लद्दाख ही नहीं अरुणाचल प्रदेश में भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पिछले हफ्ते अरुणाचल सेक्टर में भारतीय सैनिकों की चीनी सैनिकों से झड़प हुई थी। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। इसके मुताबिक, गश्त के दौरान सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए थे और यह सिलसिला कुछ घंटों तक चलता रहा। इसमें भारतीय सैनिकों को कोई नुकसान नहीं हुआ और प्रोटोकॉल के अनुसार बातचीत के जरिए विवाद को सुलझा लिया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तिब्बत से 200 चीनी सैनिक भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे, जिसे भारतीय सैनिकों ने रोक दिया। आपको बता दें कि लद्दाख में भारतीय सैनिकों के साथ चीनी घुसपैठ और झड़प की खबरें आ रही हैं, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में झड़प की खबरें काफी समय बाद आई हैं। इससे साफ पता चलता है कि चीन ने अरुणाचल में फिर से अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं।
करीब 9 महीने पहले एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने भारत की सीमा से साढ़े चार किलोमीटर दूर अरुणाचल में एक गांव बसा लिया है, इसमें 100 से ज्यादा घर बन चुके हैं। यह गांव सुबनसिरी जिले में साड़ी चू नदी के तट पर स्थित है। यह वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास का क्षेत्र है। इसकी तस्वीरें अमेरिका की इमेजिंग कंपनी प्लैनेट लैब्स ने जारी की थी।
हाल ही में खबर आई थी कि 30 अगस्त को 100 चीनी सैनिकों ने उत्तराखंड के बाराहोटी सेक्टर में घुसपैठ की थी और वहां 3 घंटे रुक कर वापस लौट गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घोड़ों पर सवार चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस गए और लौटने से पहले एक पुल में तोड़फोड़ की। आपको बता दें कि बाराहोती वही इलाका है जिसमें 1962 के युद्ध से पहले भी चीन ने घुसपैठ की थी।
दो हफ्ते पहले खबर आई थी कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में (एलएसी) के पास करीब 8 जगहों पर अस्थायी टेंट जैसी रहने की व्यवस्था की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने काराकोरम दर्रे के पास वहाब जिलगा से लेकर पीयू, हॉट स्प्रिंग्स, चांग ला, ताशीगोंग, मांजा और चुरुप तक उत्तरी इलाके में आश्रय स्थल बनाए हैं. यहां प्रत्येक स्थान पर सात क्लस्टर में 80 से 84 कंटेनर बनाए गए हैं।