राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विवाद गहराया, गैर हिन्दी भाषी राज्यों ने किया विरोध

इस शिक्षा नीती के तहत् देश के सभी राज्यों में कक्षा 8 तक हिन्दी पढ़ना अनिवार्य होगा,
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विवाद गहराया, गैर हिन्दी भाषी राज्यों ने किया विरोध

नई दिल्ली – देश में हिन्दी भाषा पर विवाद लगातार जारी है। देश में हिन्दीपढ़ाने का प्रस्ताव देने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे पर लगातार विवाद गहराता जा रहा है। तमिलनाडू राज्य के विवाद जताने के बाद अब महाराष्ट से भी आवाज उठने लगी है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के एक नेता ने कहा कि हिन्दी कोई राष्ट्रीय भाषा नही है, इसे हमारे माथे पर मत थोपो, हालकि यह ट्विट मराठी भाषा में किया गया।

रविवार को केंद्र सरकार ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि किसी भी राज्य पर हिंदी थोपी नहीं जाएगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लिखा था कि इस ड्राफ्ट को अमल में लाने से पहले इसकी समीक्षा की जाएगी। मोदी सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मंत्री दोनों ही तमिलनाडू से है. जो कि एक गैर हिन्दी भाषी राज्य है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत् कक्षा 8 तक हिंदी अनिवार्य किए जाने की सिफारिश की गई है. इस सिफारिश पर कई राज्यों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. इन राज्यों में ज्यादातर गैर-हिंदी भाषी राज्य हैं. कर्नाटक, तमिलनाडु और बंगाल में विरोध के स्वर तेज हैं. इन प्रदेशों ने कहा है कि किसी भी भाषा को थोपने के प्रयास का चौतरफा विरोध किया जाएगा.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने एक ट्वीट कर नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा (तीन भाषा) की नीति का विरोध किया है. कुमारस्वामी ने कन्नड़ में ट्वीट किया और लिखा, 'मानव संसाधन मंत्रालय (एचआरडी) की ओर से जारी मसौदे को कल मैंने देखा जिसमें हिंदी थोपने की बात की गई है. तीन भाषा की नीति के नाम पर किसी पर कोई भाषा नहीं थोपी जानी चाहिए. इसके बारे में हमलोग केंद्र सरकार को सूचित करेंगे। 

स्कूलों में त्रिभाषा फॉर्मूले संबंधी नई शिक्षा नीति के मसौदे पर उठे विवाद के बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने स्पष्ट किया है कि सरकार अपनी नीति के तहत सभी भारतीय भाषाओं के विकास को प्रतिबद्ध है और किसी प्रदेश पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी। निशंक ने स्पष्ट किया कि हमें नई शिक्षा नीति का मसौदा प्राप्त हुआ है, यह रिपोर्ट है। इस पर लोगों एवं विभिन्न पक्षकारों की राय ली जायेगी, उसके बाद ही कुछ होगा। कहीं न कहीं लोगों को गलतफहमी हुई है।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार, सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करती है और हम सभी भाषाओं के विकास को प्रतिबद्ध है। किसी प्रदेश पर कोई भाषा नहीं थोपी जायेगी। यही हमारी नीति है, इसलिये इस पर विवाद का कोई प्रश्न ही नहीं है। गौरतलब है कि पिछले शुक्रवार को के. कस्तूरीरंगन समिति ने नई शिक्षा नीति का मसौदा सरकार को सौंपा था। इसके तहत नई शिक्षा नीति में तीन भाषा प्रणाली को लेकर केंद्र के प्रस्ताव पर हंगामा मचना शुरू हो गया है। इसे लेकर तमिलनाडु से विरोध की आवाज उठ रही है।

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