नई दिल्ली – 30 मई को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में इस बार बिम्सटेक के सदस्यों को निमंत्रण दिया गया है, 2014 में मोदी सरकार ने शपथ समारोह में सार्क के सदस्यों को बुलाया था। बिम्सटेक सदस्यों में पाकिस्तान शामिल नहीं है। ऐसे में इस बार पाकिस्तान को शपथ ग्रहण समारोह से दूर रखा गया है। इससे मोदी सरकार ने साफ संदेश देने की कोशिस की है जब तक पाकिस्तान आतंकवाद पर कारवाई नहीं करता तब तक उनसे किसी भी प्रकार के संबध सभंव नही है।
विदेश मंत्रालय की ओर से नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोहमें बिम्सटेक देशों को न्यौता भेजा जा चुका है। बिम्सटेक देशों में बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाइलैंड,नेपाल और भूटान शामिल हैं, इन सबके अलावा मॉरिशसके प्रधानमंत्री और किर्गिस्तान के राष्ट्रपति को भी समारोह में शामिल होने के लिएन्योता भे़जा गया है।
वही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना एक बारफिर से शपथ समारोह में शामिल नहीं हो पायेगी, इस दौरान वे अपनेतीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर बाहर रहेगी। उनकी जगह संसद के प्रवक्ता समारोह में उपस्थितहोंगे।
क्या है बिम्सटेक
बिम्सटेक एक आर्थिक और तकनीकी सहयोग संगठन है, इसका पुरा नाम "बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकीऔर आर्थिक सहयोग उपक्रम" है। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश,म्यांमार, श्रीलंका, थाइलैंड, नेपाल औरभूटान शामिल हैं। इस सगंठन की स्थापना 6 जुन 1997 को थाईलैंड की राजधानी बैंकाक मेंकी गई थी। इसका मुख्यालय बांग्लादेश की राजधानी ढ़ाका में स्थित है। इसका अंतिम सम्मेलनबीते वर्ष नेपाल में हुआ था।
मिली जानकारी के अनुसार बिम्सटेकदेशों के अलावा इजरायल के प्रधानमंत्री बेजांमिन नेतन्याहू को भी न्यौता भेजने पर भीविचार किया जा रहा है हालाकि इजरायल के प्रधानमंत्री को बुलाने पर विवाद पैदा हो सकताहै। ऐसे में मोदी सरकार बिल्कुल भी नही चाहेगी कि सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को लेकरकोई विवाद हो।