भारत रत्न’ देश का सर्वोच्च सम्मान है। इस अलंकरण से उन व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने देश के किसी भी क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किए हों, अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृस्ट कार्य कर हमारे देश का गौरव बढ़ाया
और हमारे देश को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई। भारत रत्न उच्चतम नागरिक सम्मान है, जो कला, साहित्य, विज्ञान,
राजनीतिज्ञ, विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को असाधारण सेवा के
लिए तथा उच्च लोक सेवा को मान्यता देने के लिए भारत सरकार की ओर से दिया जाता है।
‘भारत-रत्न’ उन महान व्यक्तियों की जीवन गाथा तो है ही, साथ में उन महापुरुषों के जीवन काल का इतिहास भी है।
डा. विश्वेश्वरैया ने जल की आपूर्ति, बांध आदि की जो योजनाएं बनाईं और उन्हें साकार किया,
उनकी उस समय कल्पना कठिन थी। महान उद्योगपति जे. आर. डी. टाटा ने विमान-सेवा उस समय आरंभ की जब
ठीक ढंग से हवाई अड्डे भी नहीं थे। ‘भारत-रत्न’ ऐसी विभूतियों का चरित्र-चित्रण है
जिनके बिना देश का इतिहास अधूरा है।
एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है।
यह प्रतिवर्ष दिया जाने वाला अलंकरण नहीं। यह किसी व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व और देश के प्रति उसकी अत्यन्त समर्पण भावना के लिए
यदा-कदा दिया जाने वाला अलंकरण है। इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के
तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी। अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप
में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। प्रारम्भ में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया।
तत्पश्चात् 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया। सुभाष चन्द्र बोस को घोषित
सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरान्त सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है।
एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है।
भारत रत्न” और यह सफ़ेद फीते के साथ गले में पहना जाता है।
इस पुरस्कार के रूप में दिए जाने वाले सम्मान की मूल रूप-रेखा 35 मिलिमीटर व्यास वाला गोलाकार
स्वर्ण पदक है जिस पर सूर्य और ऊपर हिन्दी भाषा में भारत रत्न और नीचे एक फूलों का गुलदस्ता बना होता है
पीछे की ओर शासकीय संकेत और आदर्श- वाक्य लिखा होता है। इसे सफ़ेद फीते में डालकर गले में पहनाया जाता है।
एक वर्ष बाद इस डिजाइन को बदल दिया गया था। तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का
चमकता सूर्य बना दिया गया। जिसके नीचे चाँदी में लिखा रहता है “भारत रत्न” और यह सफ़ेद फीते के
साथ गले में पहना जाता है।
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