अब एंजेसी रखेगी, मॉब लिंचिंग पर निगरानी…

पश्चिम बंगाल सरकार की सीआईडी केरगी जांच, गृह विभाग ने सभी जिला मुख्यालयों को जारी निर्देश
अब एंजेसी रखेगी, मॉब लिंचिंग पर निगरानी…

डेस्क न्यूज – पश्चिम बंगाल सरकार का अपराध जांच विभाग(सीआईडी) अब राज्यभर में होने वाली लिंचिंग की घटनाओं की निगरानी करेगा। इसके अलावा राज्य के सभी जिलाधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों को राज्य के गृह विभाग की ओर से निर्देशिका जारी किए गए हैं, जिसमें भीड़ की सामूहिक हिंसा रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।किसी भी क्षेत्र में संभावित हिंसा की घटनाओं पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी इंटेलिजेंस ब्यूरो(आईबी) को दी गई है।

दरअसल विगत कुछ महीनों से देश के अन्य हिस्सों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में भी सामूहिक हिंसा की घटनाएं हुई हैं। कहीं बच्चा चोरी के संदेह में तो कहीं गाड़ी चोरी के संदेह में, कहीं मवेशी चोर के संदेह में कई लोगों की पीट-पीटकर हत्या की जा चुकी है। राजधानी कोलकाता से लेकर उत्तर बंगाल के विस्तृत इलाके में इस तरह की घटनाएं हुई हैं। इससे खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चिंतित हुई हैं।

सोमवार को राज्य सीआईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि राज्य भर में होने वाली इस तरह की घटनाओं पर निगरानी और जांच का निर्देश सीआईडी को मिला है। लिंचिंग की घटनाओं के पीछे साजिश की आशंका से इनकार नहीं किया जा रहा है, इसलिए जांच एजेंसी के अधिकारी इन घटनाओं की समीक्षा कर इससे बचाव के लिए रिपोर्ट तैयार करेंगे। जल्द ही "क्या करें और क्या ना करें" की एक सूची राज्य सीआईडी की ओर से जारी की जाने वाली है, जो राज्यवासियों को लिंचिंग के वारदातों में शामिल होने से रोकने में मददगार साबित होंगी।

दरअसल पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र तथा राज्य सरकारों को सामूहिक हिंसा की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए नीति बनाने का निर्देश दिया था। तब पश्चिम बंगाल सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया था लेकिन अब इसे क्रियात्मक तौर पर अंतिम रूपरेखा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सामूहिक हिंसा करने वालों पर कानूनी तौर पर ठोस कार्रवाई हो सके इसके लिए राज्य सरकार ने तैयारियां शुरू की है। उसकी पहली प्रक्रिया के तौर पर सभी जिलाधिकारियों, जिला पुलिस अधीक्षकों और पुलिस आयुक्तालयों को अलग से नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक ही नोडल अधिकारी होंगे जबकि पुलिस आयुक्तालय वाले क्षेत्रों में उपायुक्त रैंक के किसी भी अधिकारी को नोडल ऑफिसर की जिम्मेदारी दी जाएगी।

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