उदारीकरण के बाद, बड़े शहरों में व्यापक विस्थापन और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई, जड़ों और रिश्तों से काट चुके ऐसे युवा भावनात्मक समर्थन पाने के लिए और ऐसे रिश्ते बनाने में जिसे वो शादी के अंजाम तक पहुंचा सकें, डेटिंग एप्स का सहारा ले रहे हैं । विवाह तय करने जैसी सामाजिक प्रक्रिया परिवार और यहाँ तक कि परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों आदि को शामिल करके आगे बढ़ती थी अब उसमें भी ई लग गया है। मैट्रिमोनी वेबसाइट से शुरू हुआ यह सिलसिला अब डेटिंग एप्स तक पहुंच गया है।
भारत में डेटिंग का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है
आमतौर पर, इंटरनेट की मदद से संबंध बनाने को विशुद्ध रूप से शहरी घटना माना जाता था
और छोटे शहरों को इस प्रवृत्ति से दूर माना जाता था। इस सांस्कृतिक बाधा के बावजूद,
भारत में डेटिंग का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।
इंटरनेट वेबसाइट स्टेटिस्टा के अनुसार, वर्तमान में 3.8 करोड़ लोग देश में डेटिंग ऐप का उपयोग कर रहे हैं और यह संख्या राजस्व के हिसाब से दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी संख्या है।
देश की सांस्कृतिक विविधता के अनुसार, सभी लोकप्रिय डेटिंग ऐप अंग्रेजी भाषा को प्रमुखता देते हैं, टिंडर ने हिंदी में भी सेवा देना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी भी अंग्रेजी का बोलबाला है, जबकि देश की केवल 12 प्रतिशत आबादी अंग्रेजी बोलती है। है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में भाषा की समस्या डेटिंग ऐप्स के मामले में उतनी गंभीर नहीं है, क्योंकि लोग मोटे तौर पर जानते हैं कि ऐप कैसे चलता है। जब संदेशों के आदान-प्रदान की बात आती है, तो लोग हिंदी या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में लिखते हैं।
दूल्हा या दुल्हन ढूंढना अब मैट्रिमोनियल साइट्स और ऑनलाइन डेटिंग साइट्स कर रही हैं
सामाजिक रूप से, जहां पहले लड़का और लड़की का परिवार विवाह के केंद्र में हुआ करता था, अब वह लड़का और लड़की की इच्छा पर ध्यान केंद्रित करने लगता है। दूल्हा या दुल्हन ढूंढना अब मैट्रिमोनियल साइट्स और ऑनलाइन डेटिंग साइट्स कर रही हैं और वह भी बिना किसी बिचौलिए के। हालाँकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि इससे पारदर्शिता आई है। इन वेबसाइटों पर आप आसानी से प्रोफाइल सेट कर सकते हैं। आप अपनी तस्वीर दर्ज कर सकते हैं और अपनी पसंद के उन प्रोफाइलों की जाँच करके आगे बढ़ सकते हैं। कई वेबसाइटों में चैटिंग की सुविधा भी होती है जिसमें लड़का या लड़की एक दूसरे को ऑनलाइन चैट करके समझ सकते हैं।
इन ऐप्स से बने रिश्तों में धोखाधड़ी के कई मामले भी सामने आए हैं
लेकिन कुछ अन्य तथ्यों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। इन ऐप्स से बने रिश्तों में धोखाधड़ी के कई मामले भी सामने आए हैं। ये ऐप यह जांचने के लिए कोई तरीका नहीं देते हैं कि दी गई जानकारी कितनी सही है। उनकी जिम्मेदारी लड़के और लड़की को मिलाने तक सीमित है। हालांकि झूठ बोलकर शादी करने में कोई नई बात नहीं है, लेकिन इंटरनेट ऐप्स द्वारा बनाए गए रिश्तों के पीछे कोई सामाजिक दबाव नहीं है और गड़बड़ी की स्थिति में आप एक मध्यस्थ को दोष देने की स्थिति में नहीं हैं। और न कोई ऐसा होता है, जो बिगड़ी बात को पटरी पर लाने में मदद करे।
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