विधानसभा चुनावों में हार के बाद भी बीजेपी का फोकस ममता का गढ़ बंगाल क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में बुधवार को विस्तार हुआ। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट में हुए फेरबदल एवं विस्तार में पश्चिम बंगाल से चार नेताओं को राज्य मंत्री बनाया गया है।
विधानसभा चुनावों में हार के बाद भी बीजेपी का फोकस ममता का गढ़ बंगाल क्यों?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में बुधवार को विस्तार हुआ। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट में हुए फेरबदल एवं विस्तार में पश्चिम बंगाल से चार नेताओं को राज्य मंत्री बनाया गया है। बंगाल से जॉन बरला, सुभाष सरकार, शांतनु ठाकुर और नीशीथ प्रमाणिक को मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है। चूंकि, बंगाल में विधानसभा चुनाव बीत चुका है, ऐसे में इस राज्य से चार सांसदों को मंत्री बनाए जाने के पीछे मोदी सरकार की अपनी एक सोच एवं रणनीति है। पश्चिम बंगाल से चार नेताओं को मंत्री बनाकर पीएम मोदी ने संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार के सारे फैसले चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं होते।

मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए नीशीथ सबसे कम उम्र के मंत्री हैं

मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में इस बार युवा नेताओं पर खासा जोर दिया गया है। कैबिनेट एवं राज्य मंत्रियों में कई युवा चेहरे शामिल हैं। बंगाल से नीशीथ प्रमाणिक, शांतनु ठाकुर, और जॉन बरला की उम्र 40 साल के आसपास है। मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए नीशीथ सबसे कम उम्र के मंत्री हैं।

दरअसल, चुनाव बाद भी इस राज्य पर प्रधानमंत्री मोदी की खास नजर होने के पीछे एक वजह है। विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भले ही अपेक्षित सफलता नहीं मिली हो लेकिन उसका प्रदर्शन शानदार रहा है। वह दो सीटों से 77 सीटों पर आई है। लेफ्ट एवं टीएमसी के गढ़ में वह दूसरे नंबर की पार्टी बनी है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भगवा पार्टी को 18 सीटों पर जीत मिली।

लोकसभा चुनाव में भाजपा को राज्य में दलितों एवं आदिवासियों का भारी समर्थन मिला।

दरअसल, बंगाल से चार सांसदों को मंत्री बनाकर पीएम मोदी ने एक तो बंगाल को सीधा संदेश देने की कोशिश है कि राजनीति में आगामी चुनाव ही सब कुछ नहीं होता है। दूसरा, विधानसभा चुनाव में नीशीथ प्रमाणिक, शांतनु ठाकुर, और जॉन बरला के क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा है। इन इलाकों में वह ज्यादा सीटें जीतने में सफल रही है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को राज्य में दलितों एवं आदिवासियों का भारी समर्थन मिला। मतुआ समुदाय सहित आदिवासियों के मिले समर्थन से उसने लोकसभा एवं विधानसभा दोनों चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है।

भाजपा की नजर अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव

कहीं न कहीं भाजपा की नजर अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। शांतनू को मंत्री बनाकर भाजपा ने मतुआ समुदाय को एक संदेश दिया है। चुनाव के लिहाज से उत्तर बंगाल भी भाजपा के लिए अहम रहा है। नीशीथ प्रमाणिक इसी क्षेत्र से आते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल से भाजपा को 7 सांसद मिले। नीशीथ पीएम मोदी के करीबी भी हैं।

मतुआ समुदाय के नेता हैं शांतनू ठाकुर

खासकर मतुआ समुदाय को भाजपा को भारी समर्थन मिला। शांतनू ठाकुर इस समुदाय के नेता हैं। राज्य में इस समुदाय के दो करोड़ मतदाता हैं। बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी जब बांग्लादेश के दौरे पर गए थे तो वहां भी शांतनू नजर आए थे। हालांकि बांग्लादेश में उनकी मौजूदगी पर विवाद भी हुआ था।

जॉन बरला आदिवासी समुदाय से आते हैं

बरला एक समय चाय बागान में काम करते थे। चुनाव में चाय बागान कर्मियों के बीच भाजपा की अच्छी पहुंच है। बरला अलीपुरद्वार से सांसद हैं। उत्तर बंगाल एवं असम में चाय बागान कर्मियों के अधिकारियों के लिए बरला ने करीब दो दशक की लंबी लड़ाई लड़ी है। डॉ. सुभाष सरकार भाजपा के बांकुरा से सांसद हैं। सरकार अपने मृदु स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने टीएमसी के सुब्रत मुखर्जी को हराया था।

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