डेस्क न्यूज – सूचना के अधिकार (आरटीआई) से पता चला कि पिछले साल जनवरी से सितंबर के बीच रेलवे पटरियों पर अनधिकृत क्रॉसिंग के दौरान
अलग-अलग दुर्घटनाओं में 6290 लोगों की मौत हो गई और 606 अन्य घायल हो गए।
यह ध्यान देने योग्य है कि नौ महीनों की इस अवधि के दौरान, कोविड -19 के प्रकोप के कारण सीमित संख्या में
रेलगाड़ियों के चलने पर दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई।
आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उन्हें रेल मंत्रालय से क्रॉसिंग ट्रैक से जुड़े हादसों में हताहतों की सूचना के तहत सूचना मिली थी।
गौर के अनुसार, यह विवरण संबंधित राज्यों के सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) और रेलवे बोर्ड के सुरक्षा निदेशालय द्वारा दिए गए हैं।
रेल दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई
गौड़ ने कहा, “आरटीआई के तहत मेरे पास भेजे गए जवाब में यह स्पष्ट नहीं किया गया है
कि हताहतों में आत्महत्या के इरादे से रेलवे ट्रैक पर पहुंचे लोगों के आंकड़े शामिल हैं या नहीं।”
गौरतलब है कि रेलवे ट्रैकों की अनाधिकृत क्रॉसिंग रेलवे अधिनियम की धारा 147 के तहत एक आपराधिक अपराध है।
इसके तहत छह महीने तक की कैद और 1,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
आरटीआई के तहत, गौड को यह भी बताया गया कि
वर्ष 2020 में जनवरी और नवंबर के बीच, हत्या के 83 मामले और चलती ट्रेन और रेलवे परिसर में हत्या के प्रयास के 34 मामले दर्ज किए गए थे।
आरटीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 11 महीने की इस अवधि के दौरान,
चलती ट्रेन और रेलवे परिसर में बलात्कार के 18 मामले दर्ज किए गए,
जबकि महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराधों के 103 मामले दर्ज किए गए।
पिछले साल जनवरी से नवंबर के बीच चलती ट्रेनों और रेलवे परिसर में कुल 10 डकैती, 551 लुट और सामान चोरी करने के 14,344 मामले दर्ज किए गए थे।
रेल मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इन आंकड़ों में पश्चिम बंगाल में चलती ट्रेनों और रेलवे परिसरों पर होने वाले अपराधों का विवरण शामिल नहीं है।