आजादी का अमृत महोत्‍सव : जानिए आजादी के 75 साल पर आयोजित ‘अमृत महोत्‍सव’ के बारें में

देश को आजादी मिले 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं और भारत का राष्ट्रगान, जिसे गाते वक्त हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है, भारत का राष्ट्रगान, जिसे गाते वक्त रोंगटे तक खड़े हो जाते हैं। वही राष्ट्रगान इस बार इतने लोग गाएंगे कि नया रिकॉर्ड बन सकता है। 
आजादी का अमृत महोत्‍सव : जानिए आजादी के 75 साल पर आयोजित ‘अमृत महोत्‍सव’ के बारें में

आजादी का अमृत महोत्‍सव : देश को आजादी मिले 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं और भारत का राष्ट्रगान, जिसे गाते वक्त हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है, भारत का राष्ट्रगान, जिसे गाते वक्त रोंगटे तक खड़े हो जाते हैं। वही राष्ट्रगान इस बार इतने लोग गाएंगे कि नया रिकॉर्ड बन सकता है।

पीएम मोदी ने इसी साल मार्च के महिने में अहमदाबाद दौरे पर 'आजादी के अमृत महोत्सव' का आगाज किया था। वहां पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि लगातार 75 हफ्ते तक देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। इस महोत्‍सव के जरिये देश की भावी पीढ़ी तक स्वतंत्रता आंदोलन की हरेक बात पहुंचाने की कोश‍िश की गई। ताकि देश का हरेक बच्‍चा आसान और रुचिकर तरीके से आजादी के आंदोलन के बारे में सबकुछ जान सके।

प्रधानमंत्री ने कहा था 'Freedom Struggle, Ideas at 75, Achievements at 75, Actions at 75 और Resolves at 75 ये पांचों स्तम्भ आजादी की लड़ाई के साथ-साथ आजाद भारत के सपनों और कर्तव्यों को देश के सामने रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे।

आज़ादी की लड़ाई में अलग-अलग संग्रामों, अलग-अलग घटनाओं की भी अपनी प्रेरणाएं हैं, अपने संदेश हैं, जिन्हें आज का भारत आत्मसात कर आगे बढ़ सकता है। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, देश को सत्याग्रह की ताकत फिर याद दिलाना, लोकमान्य तिलक का पूर्ण स्वराज्य का आह्वान, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का दिल्ली मार्च, दिल्ली चलो, ये नारा आज भी हिन्दुस्तान भूल नहीं सकता है? 1942 का अविस्मरणीय आंदोलन, अंग्रेजों भारत छोड़ो का वो उद्घोष, ऐसे कितने ही अनगिनत पड़ाव हैं जिनसे हम प्रेरणा लेते हैं, ऊर्जा लेते हैं। ऐसे कितने ही हुतात्मा सेनानी हैं जिनके प्रति देश हर रोज अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता है।

1857 की क्रांति के मंगल पांडे, तात्या टोपे जैसे वीर हों, अंग्रेजों की फौज के सामने निर्भीक गजर्ना करने वाली रानी लक्ष्मीबाई हों, कित्तूर की रानी चेन्नमा हों, रानी गाइडिन्ल्यू हों, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, अशफाकउल्ला खां, गुरू राम सिंह, टिटूस जी, पॉल रामासामी जैसे वीर हों, या फिर पंडित नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, सुभाषचंद्र बोस, मौलाना आजाद, खान अब्दुल गफ्फार खान, वीर सावरकर जैसे अनगिनत जननायक! ये सभी महान व्यक्तित्व आजादी के आंदोलन के पथ प्रदर्शक हैं। आज इन्हीं के सपनों का भारत बनाने के लिए, उनको सपनों का भारत बनाने के लिए हम सामूहिक संकल्प ले रहे हैं, इनसे प्रेरणा ले रहे हैं।

15 अगस्त 1947 को जब भारत को आजादी हासिल हुई उस वक्त भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जश्न का हिस्सा नहीं थे. क्योंकि उस दौरान वो बंगाल में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने का काम कर रहे थे।15 अगस्त को भारत के अलावा तीन अन्य देशों को भी आजादी मिली थी। इनमें दक्षिण कोरिया जापान से 15 अगस्त, 1945 को आज़ाद हुआ. ब्रिटेन से बहरीन 15 अगस्त, 1971 को और फ्रांस से कांगो 15 अगस्त, 1960 को आज़ाद हुआ था।

4.जिस दिन भारत आजाद हुआ यानि 15 अगस्त को उस दिन तक भारत औऱ पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा पूर्ण रुप से नहीं बनी थी, इसका फैसला 17 अगस्त को को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ।

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