अभिनेत्री प्रीटि जिंटा का जमीनी सौदा विवादों में, खुफिया एजेंसियां कर रही जांच

खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2010-11 में सरकार ने संदेह के घेरे में आए 52 जमीनी सौदों की सूची जारी की थी।
अभिनेत्री प्रीटि जिंटा का जमीनी सौदा विवादों में, खुफिया एजेंसियां कर रही जांच

बालीवुड अभिनेत्री प्रीटि जिंटा का शिमला के बल्देयां में जमीनी सौदा खुफिया एजेंसियों के निशाने पर आ गया है। नालदेहरा के समीप कुल चार बीघा का यह जमीनी सौदा चंडीगढ़ की टूरिस्ट रिजॉर्ट नामक कंपनी से जुड़ा है। इस कंपनी ने वर्ष 2000 में होटल निर्माण के लिए राज्य सरकार की अनुमति से जमीन खरीदी थी। इसके बाद वर्ष 2007 में फिल्म अभिनेत्री प्रीटि जिंटा और उनकी मां नीलप्रभा जिंटा के नाम से इस जमीन का सीधा इंतकाल कर दिया गया।

आरोप है कि इस जमीनी सौदे के लिए राज्य सरकार से धारा-118 की अनुमति नहीं ली गई। इतना ही नहीं, होटल बनाने के लिए ली गई इस जमीन पर दो साल के भीतर निर्माण कार्य होना जरूरी था। इस नियम को भी ठेंगा दिखाया गया। जमीनी सौदे के लिए रजिस्ट्री भी नहीं की गई। यह अपनी तरह का ऐसा पहला मामला होगा, जिसमें तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए सीधे जमीन का इंतकाल दूसरी पार्टी के नाम कर दिया गया।

खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2010-11 में सरकार ने संदेह के घेरे में आए 52 जमीनी सौदों की सूची जारी की थी। इसमें प्रीटि जिंटा के इस जमीनी सौदे का नाम भी शामिल था। आरोप था कि सरकार से विशेष उद्देश्य के चलते जमीन खरीदने की अनुमति के बावजूद भूखंड पर निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया था।

खरीदने-बेचने की अनुमति ली गई और न ही इसकी रजिस्ट्री हुई। 

हालांकि चौंकाने वाली बात है कि ऊपर से लेकर नीचे तक की सेटिंग के चलते इस सूची से बल्देयां का जमीनी सौदा गायब हो गया। सूत्रों का कहना है कि नियमों के अनुसार चंडीगढ़ की कंपनी को वर्ष 2000 में मिली इस जमीन पर अगले दो सालों तक निर्माण कार्य शुरू करना जरूरी था। ऐसा न होने पर यह जमीन सरकार में निहित होनी थी। बावजूद इसके वर्ष 2007 में इस जमीन को दूसरी पार्टी को बेच दिया गया। इसके लिए न तो धारा-118 के तहत जमीन को खरीदने-बेचने की अनुमति ली गई और न ही इसकी रजिस्ट्री हुई।

डीसी ने हमारे हक में सुनाया था फैसला

इस पूरे मामले पर प्रीटि जिंटा की मां नीलप्रभा जिंटा ने कहा कि बल्देयां का यह भूखंड चंडीगढ़ की रिजॉर्ट कंपनी ने खरीदा था। वर्ष 2007 में यह कंपनी हमारे नाम हो गई। इसकी डायरेक्टर मैं और मेरी बेटी प्रीति जिंटा बन गई। इस कारण कंपनी की जमीन का इंतकाल भी हमारे नाम हो गया। इस जमीनी सौदे को लेकर शिकायत भी हुई थी। इसके चलते यह मामला डीसी कोर्ट में भी चला। इस आधार पर 2014-15 में तत्कालीन डीसी ने यह फैसला हमारे हक में सुनाया।

रिकार्ड तलब

उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी का कहना है कि इस मामले में ऊपर से रिपोर्ट तलब की गई है। इसके चलते बल्देयां के पटवारी से मामले का पूरा रिकार्ड तलब किया गया है। इसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि इस जमीनी सौदे में किस स्तर पर धारा-118 का उल्लंघन हुआ है।

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