पाकिस्तान की मदद के बिना तालिबान अफगानिस्तान में मजबूत नहीं हो सकता ?

अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती सक्रियता ने सभी को चिंता में डाल दिया है। जिस तरह से तालिबान एक-एक कर अफगानिस्तान के इलाकों पर अपना कब्जा जमा रहा है, उसे देख पूरी दुनिया परेशान है।
पाकिस्तान की मदद के बिना तालिबान अफगानिस्तान में मजबूत नहीं हो सकता ?
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अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती सक्रियता ने सभी को चिंता में डाल दिया है। जिस तरह से तालिबान एक-एक कर अफगानिस्तान के इलाकों पर अपना कब्जा जमा रहा है, उसे देख पूरी दुनिया परेशान है। अब इस बढ़ते खतरे के बीच आजतक ने अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और क्षेत्रीय सहयोग के प्रमुख अहमद शुजा जमाल से खास बातचीत की।

तालिबान और पाकिस्तान में कनेक्शन?

अहमद शुजा ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि पाक की वजह से ही अफगानिस्तान में तालिबान इतना मजबूत हो रहा है। वे कहते हैं कि तालिबान इतना मजबूत कभी नहीं होता अगर उसे पाकिस्तान का समर्थन हासिल नहीं होता।

पाकिस्तान ही अफगानिस्तान की धरती पर विदेशी योद्धाओं की घुसपैठ करवाता है। वहीं दावा ये भी किया गया है कि लश्कर और जैश जैसे संगठन तालिबान की खुलकर मदद कर रहे हैं।

क्या पाकिस्तान तालिबान की मदद कर रहा है?

अब पाकिस्तान को लेकर ये बड़ा बयान अफगानिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिया है। ऐसे में अफगानिस्तान में तालिबान की सक्रियता और पाकिस्तान का रोल संदेह में है। वैसे अहमद शुजा ने पाक को जरूर आईना दिखाने की कोशिश की है, लेकिन भारत को उन्होंने अपना एक करीबी पार्टनर बताया है।

बातचीत में उनकी तरफ से कहा गया है कि भारत एक जरूरी साझेदार है। हम जानते हैं कि भारत कई शांति वार्ताओं में शामिल होना चाहता है, अफगानिस्तान इसका खुलकर समर्थन करता है।

अफगानिस्तान में भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या कर दी गई थी

हाल ही में अफगानिस्तान में भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या कर दी गई थी। उस घटना पर भी अहमद शुजा ने दुख जाहिर किया। उनकी तरफ से बताया गया कि अफगानिस्तान पूरी कोशिश कर रहा है कि भारत को दानिश का शव समय रहते मिल जाए।

शुजा की तरफ से दानिश के परिवार के प्रति संवेदना भी व्यक्त की गई। जानकारी के लिए बता दें कि दानिश सिद्दीकी की हत्या कंधार के स्पिन बोल्डक इलाके में एक झड़प के दौरान हुई थी। वे मौजूदा वक्त में अंतरराष्ट्रीय एजेंसी Reuters के साथ कार्यरत थे और अफगानिस्तान में जारी हिंसा के कवरेज के लिए गए थे।

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