हरियाणा के हिसार के खरक पुनिया में आयोजित ‘किसान महापंचायत’ में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि यह लड़ाई अमीर बनने की नहीं है, यह लड़ाई हमारे रोजगार को छीनने कि है। उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन की दर कम हो ] रही है। किसानों को अपनी जमीन बेचने के लिए मजबूर करने की साजिश चल रही है। खेती कानूनों के खिलाफ आयोजित हापंचायत में दिल्ली सीमा पर आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
सरकार के बनाए कानून व्यावसायिक कानून हैं, खेती के कानून नहीं
गुरनाम सिंह चढूनी ने अपने संबोधन में लोगों से गाँव से निकलकर दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आदोलन तक पहुँचने की अपील की।
उन्होंने कहा, ” सरकार के बनाए कानून व्यावसायिक कानून हैं, खेती के कानून नहीं। 50 हज़ार के कर्ज वाला किसान आत्महत्या कर रहा है
और 50 हज़ार करोड़ का कर्ज़ वाला एक व्यापारी खुलेआम घूम रहा है। ”
भूखे मरने से बेहतर है कि लड़ो और मरो
किसान नेता ने महापंचायत में लोगों में जोश भरते हुए उन्होंने कहा भूखे मरने से बेहतर है कि लड़ो और मरो।
उन्होंने कहा, “कानूनी नोटिस मिलने के बाद, दिल्ली पुलिस के पास मत जाओ और जब पुलिस तुम्हें गिरफ्तार करने के
लिए आती है उन्हें बैठा लो। भाजपा के लोगों को गांव में प्रवेश न करने दें।” उन्होंने कहा कि आजादी के
समय अच्छी कृषि थी और अब हालात बदल गए हैं।
भाजपा के लोगों को गांव में प्रवेश न करने दें
महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि
सरकार सोच रही है कि दो महीने में किसान फसल की कटाई के लिए गांव लौट आएंगे। सरकारी भ्रांतियों को
दूर करना होगा। हम फसलों की कटाई भी करेंगे और आंदोलन भी करेंगे।
सरकार को मजबूत लोगों से पाला पडा है
टिकैत ने एक बार फिर घोषणा की कि वह तब तक घर नहीं लौटेंगे जब तक कि कानून वापस नहीं किया जाता।
उन्होंने कहा, “पहली बार, सरकार को मजबूत लोगों से पाला पडा है। अगर सरकार ज्यादा करती है तो ये
किसान ट्रैक्टरों को बंगाल ले जाएंगे। किसानों कोवहां भी बड़ी समस्या है। “उन्होंने सरकार पर आरोप
लगाया कि जो लोग किसानों के बारे में बात करते थे उन्हें उनकी नौकरियों से हटा दिया गया था।
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