प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन में किसान बिल वापसी बात कही‚ लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी कानून को संसद में लेकर आने और फिर उसे वापस रद्द करने के लिए किस प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है, कब इस कानून के रद्द होने का डॉक्यमेंटेंशन होगा‚ जिसपर सही मायनों में किसान मानें और अपने अपने घरों को लौट सकें‚ क्योंकि यही कारण है कि पीएम के संबोंधन मात्र में बिल वापस लेने के बाद भी किसान अभी भी बॉर्डर पर डटे हुए हैं।
कानून बनाने का सबसे पहला कदम बिल ड्राफ्ट करना होता है,अब आप जानना चाहेंगे की बिल ड्राफ्ट क्या होता है ? तो ये किसी भी कानून का कच्चा रूप है, मतलब जो कानून बनने जा रहा है उसका 'बीटा वर्जन' कई कानूनी विशेषज्ञ मिलकर इस बिल का मसौदा तैयार करते हैं, कई बार आम लोगों से भी सलाह ली जाती है, उसके बाद इस बिल की केंद्रीय कैबिनेट द्वारा हर पहलू से जांच की जाती है, और उसमें सुधार किया जाता है, फिर यदि इसे कैबिनेट द्वारा पारित कर दिया जाता है तो इसे संसद में चर्चा के लिए भेजा जाता है, इन विधेयकों की चर्चा में विपक्ष आपत्तियां के बारे में बताता है और सरकार के मंत्री इस पर अपना जवाब देते हैं।
प्रश्न और उत्तर के अंत में इसके लिए मतदान होता है, यदि अधिक सांसद बिल के पक्ष में हैं तो बिल पारित हो जाता है, यही प्रक्रिया संसद के दूसरे सदन में भी होती है,बता दे कि बिल को पहले लोकसभा और राज्यसभा में भी लाया जा सकता है, लेकिन बिल को दोनों सदनों में ही पास करना होता है, इसके बाद ही अगला कदम उठाया जा सकता है, इसके बाद अगला कदम बिल को राष्ट्रपति के पास भेजना है, राष्ट्रपति किसी बिल को समीक्षा के लिए दो बार से अधिक नहीं भेज सकता है, राष्ट्रपति द्वारा बिल पर हस्ताक्षर करते ही बिल कानून बन जाता है।
बात करें कृषि कानून की तो इन्हें लोकसभा द्वारा 17 सितंबर, 2020 को और राज्यसभा द्वारा 20 सितंबर, 2020 को पारित किया गया था, अगले सात दिनों के भीतर, राष्ट्रपति ने इन बिलों पर हस्ताक्षर किए, जिससे वे एक बिल से कानून बन गए, यानी कृषि बिल से कृषि कानून।
रिपील (Repeal) शब्द का हिंदी अनुवाद औपचारिक रूप से किसी कानून को निरस्त करना है, यानी अगर सरकार देश या देश की जनता के लिए किसी कानून को निरस्त करती है, तो वह देश का कानून नहीं रहेगा।
जनवरी 2021 में जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए कहा था कि '18 महीने' के लिए कानूनों को लागू नहीं किया जाना चाहिए, मतलब रोक कर रखना, इसे अबेयॉन्स कहा जाता है। लेकिन यहाँ समस्या थी कि सरकार किसी कानून पर 'प्रतिबंध' नहीं लगा सकी।
तो क्या कर सकते हैं? निरस्त करना या उसमें संशोधन करना, मतलब एक बार कानून बन जाने के बाद 'रिपील' किया जा सकता है अबेयॉन्स नहीं, यानि की निरसन कर सकते हैं, कुछ परिवर्तन भी कर सकते हैं, लेकिन कानून बनाने के बाद, यह अपने प्रभाव को रोक नहीं सकता है।
ऐसे में 29 नवंबर से शुरू होने वाले शीत कालीन सत्र में इस बिल के निरस्तीकरण का संशोधन बिल को दोनों सदनों में लाया जाएगा। दोनों सदनों में निरस्तीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति के इस संशोधित बिल पर हस्ताक्षर करने के बाद इस किसान बिल को सरकारी दस्तावेज के तौर पर निरस्त मान लिया जाएगा।