भारतीय वायुसेना की एक महिला अधिकारी के साथ 'टू फिंगर टेस्ट' का मामला काफी विवादित हो गया है। जैसा की आपको पता है यह टेस्ट भारत में पूरी तरह प्रतिबंधित है।
बात दें की तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित एयर फ़ोर्स एडमिनिस्ट्रेटिव कॉलेज में एक महिला ने एक सहकर्मी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। महिला ने इसकी शिकायत भारतीय वायुसेना से की थी। महिला ने कोयंबटूर पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने उन पर यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज नहीं करने का दबाव डाला और इसके लिए उन्हें धमकियां भी दी गई। पीड़िता के मुताबिक, 10 सितंबर को बास्केटबॉल खेलते समय उसके टखने में चोट लग गई थी और उसी दिन उसका यौन शोषण किया गया था। पीड़िता ने अपनी एफआईआर में पूरी घटना को विस्तार से बताया है।
FIR में महिला ने कहा की, "डॉक्टरों ने मुझसे पहले भी सेक्स के बारे में सवाल पूछे थे, बाद में मुझे पता चला कि उन्हें इस तरह के सवाल पूछने का कोई अधिकार नहीं है। इसके बाद उन्होंने मेरी मेडिकल जांच की। उन्होंने मेरे शरीर और मेरे गुप्तांग की जांच की। उन्होंने मेरी वजाइना में फ़िंगर डालकर स्वैब लिए। बाद में मुझे पता चला कि बलात्कार की जाँच के लिए 'टू फिंगर टेस्ट' नहीं किया जाता है। मैं इस तरह की जाँच से और परेशान हो गई थी । ऐसा लगा कि अमितेश हरमुख (रेप अभियुक्त) के रेप के भयावह प्रताड़ना का सामना फिर से करना पड़ा।"
पांच साल पहले 2 सितंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने टू-फिंगर टेस्ट पर फैसला सुनाया था। इस बेंच में जस्टिस बीएस चौहान और एफ़एमआई कलिफ़ुल्ला थे। जजों ने अपने फैसले में कहा था, "दो अंगुलियों का परीक्षण और इसकी व्याख्या रेप पीड़िता की निजता, शारीरिक और मानसिक गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करती है। भले ही रिपोर्ट यौन संबंध की पुष्टि करती हो, लेकिन यह पता नहीं चलता कि संबंध सहमति से था या बलात्कार किया गया।
कोर्ट ने कहा था कि ऐसी कोई मेडिकल प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए, जो क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक हो। अदालत ने कहा था कि यौन अपराधों से निपटने के दौरान पीड़िता के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उस पीठ ने कहा था,व्यवस्था की ज़िम्मेदारी है कि "यौन अपराध से पीड़ित महिलाओं के साथ संवेदनशीलता के साथ पेश आए। उनकी सुरक्षा के लिए हरसंभव उपाय होने चाहिए और उनकी निजता के साथ कुछ भी ग़ैर-क़ानूनी या एकतरफ़ा न किया जाए।" महिला वर्जिन है या नहीं यह जानने के लिए पहले टू फिंगर टेस्ट किया जाता था। बाद में यह कहा गया कि न केवल सेक्स के दौरान बल्कि साइकिल चलाने और अन्य खेल गतिविधियों में शामिल होने से भी हाइमन टूट सकता है।
अपनी शिकायत में उस महिला अधिकारी ने कहा है, "बलात्कार की जांच और बलात्कार के बीच एकमात्र अंतर यह था कि मैं एक के बारे में अच्छी तरह से नहीं जानती थी और बलात्कार के दौरान मैं होश में नहीं थी।" पीड़ित महिला का कहना है कि रेप की जांच और रेप में ज्यादा अंतर नहीं है। महिला अधिकारी ने कहा है, "टखने में चोट लगने के बाद कुछ दर्द निवारक दवाएं ली थी। शाम को दवा लेने के बाद मैं अपने सहकर्मियों के साथ बैठी थी। उस दौरान मैंने ड्रिंक का आर्डर दिया था। जब दूसरी ड्रिंक का ऑर्डर दिया तो आरोपी उसके लिए ड्रिंक लेकर आया और उसने पैसे भी दे दिए। इसके बाद महिला की तबीयत बिगड़ गई और उल्टी होने लगी। महिला का कहना है कि उसके दोस्त उसे कमरे में ले गए और लेटा दिया।
महिला ने अपनी एफ़आईआर में कहा की जब वह सो रही थी, तो अमितेश उसके कमरे में गया और उसे कई बार जगाने की कोशिश की। तब पीड़िता ने उससे कहा की 'मुझे तेज़ नींद आ रही है और मुझे सोने दे, वो वहाँ से चला जाए।'
पीड़ित महिला ने कहा की, "मुझे कमरे में ले जाने वाली महिला मित्र ने मुझसे पूछा कि क्या मैंने अमितेश को कमरे में घुसने दिया था और मेरे कपड़े क्यों उतरे हुए थे। मेरे उस सहकर्मी ने भी कहा कि जब वह कमरे में आई थी, उसने मेरे बिस्तर पर आरोपी को देखा था। अगले दिन, महिला सहकर्मियों ने बिस्तर पर सीमेन के दाग़ देखें। जब मैंने आरोपी से पूछा, तो उसने माफी मांगी।"
फ्लाइट लेफ्टिनेंट अमितेश हरमुख को 26 सितंबर को कोयंबटूर में महिला पुलिसकर्मियों ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के दौरान वायुसेना के अधिकारियों ने नियमों पर सवाल उठाया कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में दखल है। वायु सेना के अधिकारियों ने कहा कि ऐसे मामलों में सशस्त्र बलों के लिए अलग नियम हैं। लेकिन पुलिस अपने रुख से नहीं हटी और कहा कि अगर उनके पास कोई शिकायत आई है तो वे आवश्यक कदम उठाएंगे।
बता दें की एयरफ़ोर्स ने मामले की जाँच शुरू कर दी है और कोर्ट ने अभियुक्त को एयरफ़ोर्स को सौंपने के लिए कहा है ताकि कोर्ट मार्शल शुरू हो सके।साथ ही एडिशनल महिला कोर्ट जज एन तिलागेश्वरी ने आदेश दिया है कि पुलिस इस मामले की जाँच नहीं करेगी।"