न्यूज़- जैसे-जैसे लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) और लाइन ऑफ़ एक्चुअल (एलएसी) पर चुनौतियां बढ़ रही हैं, INDIAN ARMY भी सतर्क हो रही है। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि चीन से पूर्वी लद्दाख में बढ़ती चुनौतियों के बीच INDIAN ARMY को दो सबसे खतरनाक हथियार मिलने वाले हैं। इस नए हथियार के बाद INDIAN ARMY की इनफेंट्री यूनिट को और मजबूती मिलेगी।
इंगिलश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की तरफ से बताया गया है कि सेना ने हाथ से लॉन्च किए जा सकने वाले और रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित किए जा सकने वाले रावेन ड्रोन को अमेरिका से खरीदने का मन बनाया है। इसके साथ ही पुराने रक्षा और रणनीतिक साझीदारी इजरायल से स्पाइक लाइटरिंग बम भी खरीदे जाएंगे। इन बमों की रेंज 40 किलोमीटर तक होती है। अमेरिका से जो यूएवी खरीदे जाएंगे उन्हें RQ-11 के तौर पर जानते हैं। यह यूएवी 500 फीट की ऊंचाई पर 10 किलोमीटर से ज्यादा की रेंज ले सकते हैं। इनकी स्पीड 95 प्रति किलोमीटर प्रति घंटा होती है।
रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि सेना को 200 RQ-11 यूएवी मिलने वाले हैं। इन यूएवी की मदद से सेना की इनफेंट्री यूनिट को दुश्मन के जवानों की तैनाती के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी। इंडियन आर्मी ने स्पाइक मार्क III एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल इजरायल से खरीदी थी। लद्दाख में चीन के साथ जारी टकराव के बीच ही इसे इमरजेंसी खरीद के तहत लिया गया था। अब सेना लाइटरिंग बम को खरीद रही है। इन बमों के पास न सिर्फ दुश्मन को टारगेट करने की क्षमता है बल्कि अगर रेंज से बाहर है तो इन बमों को वापस लिया जा सकता है।
सेना के लिए इन दोनों हथियारों की खरीद की खबर ऐसे समय में आई है जब इसी माह पांच राफेल फाइटर जेट पेरिस से भारत पहुंचने वाले हैं। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के लिए आ रहे इन जेट्स को हरियाणा के अंबाला में तैनात किया जाएगा। चार राफेल जेट्स को फ्रांस में ट्रेनिंग के लिए प्रयोग किया जाएगा। इसके अलावा इंडियन नेवी भी अपनी दूसरी बैलेस्टिक मिसाइल फायरिंग की क्षमता से लैस पनडुब्बी आईएनएस अरिघात को तैनात करने के लिए रेडी है। इस पनडुब्बी को इसी वर्ष नेवी में कमीशन किया जाएगा।
लद्दाख में जारी टकराव के बीच जहां सेना और वायुसेना लगातार एलएसी पर नजर बनाए हुए थीं तो इंडियन नेवी भी चौकस थी। सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि गुरुग्राम में नेवी के फ्यूश़न सेंटर से हिंद महासागर में चीनी नेवी की वॉरशिप्स को लगातार ट्रैक किया जा रहा था। यह सेंटर अरब सागर और हिंद महासागर पर छह चीनी वॉरशिप्स पर नजर रखे हुए था। बताया जा रहा है कि ये जहाज बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के करीब थे। पहले तीन जहाज चीन वापस चले गए थे और इंडियन नेवी लगातार इन पर नजर रखे हुए थी।
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