अमेरिका बनाएगा कोविड-19 टेबलेट, रिसर्च पर 3 अरब डॉलर खर्च होने का अनुमान : अमेरिकी सरकार ने दवा निर्माता कंपनियों को कोविड-19 की वैक्सीन बनाने के लिए 18 अरब डॉलर दिए थे। अब अमेरिका के पास 5 वैक्सीन हैं, जिन्हें रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है। इसी तर्ज पर आगे बढ़ते हुए अमेरिकी शोधकर्ता कोविड-19 की टेबलेट बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
अमेरिका बनाएगा कोविड-19 टेबलेट, रिसर्च पर 3 अरब डॉलर खर्च होने का अनुमान : इसके लिए बाइडेन प्रशासन ने 3 अरब डॉलर का फंड दिया है। ये टेबलेट शुरुआत में वायरस के असर को खत्म कर देंगी और इससे लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।
'न्यूयॉर्क टाइम्स' के मुताबिक, स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग (डीएचएचएस) ने इस कोविड-19 गोली कार्यक्रम की घोषणा की है।
कुछ कंपनियों ने जल्द ही इसके ट्रायल करने का काम शुरू कर दिया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक कुछ टेबलेट बाजार में आ जाएंगी।
इससे भी खास बात यह है कि इस शोध कार्यक्रम में न सिर्फ कोरोना पर बल्कि उन संभावित बीमारियों की दवाओं पर भी काम किया जाएगा, जो निकट भविष्य में मानवता के लिए स्वास्थ्य चुनौतियों को सामने रख सकता है। इसके लिए महामारी के लिए एंटी वायरल प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस कार्यक्रम के जरिए इन्फ्लूएंजा, एचआईवी और हेपेटाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियों के लिए दवाएं यानी टेबलेट भी तैयार की जाएंगी, इन पर एक साल से शोध चल रहा था, लेकिन कोरोना के आने से पहले अन्य बीमारियों की टेबलेट तैयार करने में सफलता नहीं मिल पाई थी, अब यह काम मिशन मोड पर फिर से शुरू कर दिया गया है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के निदेशक एंथनी फौसी ने कहा- हम चाहते हैं कि जल्द ही वह समय आए जब हम एंटीवायरल गोलियों के जरिए कोविड-19 मरीजों का इलाज कर सकें, उन्होनें कहा- एक सुबह मैं उठता हूं। मुझे लगता है कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है। सूंघने की शक्ति और टेस्ट जाता है। गले में दर्द भी होता है। फिर मैं अपने डॉक्टर को फोन लगाकर कहूं- मुझे कोविड हुआ है और मुझे दवा बता दीजिए।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 के शुरुआती दौर में शोधकर्ताओं ने कुछ एंटीवायरल दवाओं का इस्तेमाल किया, लेकिन गंभीर मरीजों पर उनका अच्छा नतीजा नहीं निकला। अब शोधकर्ताओं को लगता है कि अगर बीमारी के शुरुआती कुछ दिनों में इनका इस्तेमाल किया जाए तो यह फायदेमंद साबित हो सकता है। अभी तक रेमडेसिविर कुछ हद तक सफल रहा है।
अस्पतालों में इसका इस्तेमाल हो रहा है। इसमें भी डॉक्टरों की निगरानी बहुत जरूरी है। नवंबर में WHO ने इसके इस्तेमाल को लेकर सावधानी बरतने को कहा था।