डेस्क न्यूज़- कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन लागू है। इसी के मद्देनजर यूपी सरकार ने राज्य के सभी निजी स्कूलों के सत्र में फीस नहीं बढ़ाने का आदेश जारी किया है। सरकार के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी गई है। निजी स्कूलों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता को नोटिस जारी कर इस संबंध में 18 जून तक सरकार से जवाब मांगा है
याचिका पर सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल निजी स्कूलों की ओर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। याचिका में बिना मान्यता वाले स्कूलों की फीस नहीं बढ़ाने के आदेश को चुनौती दी गई थी। इसमें यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को अवैध घोषित किया गया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अनिल कुमार और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यूपी के निजी स्कूलों के एसोसिएशन और एक अन्य की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में 27 अप्रैल 2020, 1 मई 2020 के सरकार के आदेशों को चुनौती दी गई है। यह कहा गया था कि इस साल कोरोना महामारी के नाम पर बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों की फीस वृद्धि पर रोक लगा दी गई है, जो मनमाना, तर्कहीन और असंवैधानिक है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश स्व-वित्त स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियम) अधिनियम 2018 के तहत फीस में वृद्धि की जा सकती है।
बिना किसी अभिभावक की आपत्ति के फीस में वृद्धि के संबंध में, सरकार ने उप्र आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उपरोक्त आदेशों को संज्ञान में लिया। याचिका में उत्तर प्रदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को असंवैधानिक घोषित करने की भी मांग की गई है और इसे केंद्रीय अधिनियम का उल्लंघन बताया गया है।
उसी समय, याचिका का राज्य सरकार द्वारा विरोध किया गया था और कहा गया था कि याचिका में यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम के संविधान को चुनौती दी गई है और ऐसे मामलों में महाधिवक्ता को नोटिस करना अनिवार्य है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद महाधिवक्ता को नोटिस जारी किया और राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा भी तलब किया है।