रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के हालात से भारत समेत कई देशों में चिंता बढ़ गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देश युद्ध के मुहाने पर पहुंच गए हैं। अब सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि अगर युद्ध शुरू होता है, तो इसका सीधा असर भारत के आम आदमी पर पड़ सकता है। कुछ आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होना भी तय है। जानकारों का यह भी कहना है कि, प्राकृतिक गैस से लेकर गेहूं तक विभिन्न अनाजों के दाम बढ़ेंगे। साथ ही, वैश्विक तेल बाजार में भारी उथल-पुथल मचेगी। आइए जानते हैं कि, इस युद्ध से भारत किस तरह प्रभावित होगा।
क्रूड ऑयल
यूक्रेन-रूस संकट ने ब्रेंट कच्चे तेल की कीमत को 96.7 डॉलर प्रति बैरल पर धकेल दिया है, जो सितंबर 2014 के बाद सबसे अधिक है। आपको बता दें कि, रूस कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। मौजूदा संकट आने वाले दिनों में कीमतों को 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक तक बढ़ा सकता है। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का असर वैश्विक जीडीपी पर पड़ेगा। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, जेपी मॉर्गन के विश्लेषण में कहा गया है कि, तेल की कीमतों में 150 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से वैश्विक जीडीपी विकास दर घटकर सिर्फ 0.9 फीसदी रह जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) बास्केट में कच्चे तेल से संबंधित उत्पादों की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी 9 प्रतिशत से अधिक है। इसलिए, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में वृद्धि, भारत की WPI मुद्रास्फीति में लगभग 0.9 प्रतिशत की वृद्धि करेगी।
हाल के कुछ वर्षों में, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण, पूरे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। जिसने हर आम आदमी की कमर तोड़ दी। भारत ने 2021 में ईंधन की कीमतों के मामले में रिकॉर्ड ऊंचाई देखी है। अगर रूस-यूक्रेन संकट जारी रहता है, तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है। बता दें कि, भारत के कुल आयात में तेल की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करता है। तेल की कीमतों में तेजी का असर चालू खाते के घाटे पर पड़ेगा।
रूस-यूक्रेन के युद्ध से यदि काला सागर क्षेत्र से अनाज का प्रवाह बाधित होता है, तो विशेषज्ञों को डर है कि इसका कीमतों और ईंधन खाद्य मुद्रास्फीति पर एक बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। रूस दुनिया का शीर्ष गेहूं निर्यातक देश है, जबकि यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। दोनों देश, गेहूं के कुल वैश्विक निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा है।
रूस पर प्रतिबंधों की आशंकाओं के बीच, पैलेडियम, ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम और मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली धातु की कीमत हाल के हफ्तों में बढ़ गई है। रूस पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है।