Madhuri Sonkar
नव वर्ष शुरू होने से 5 दिन पहले क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को सभी लोग मिलकर धूमधाम से मनाते हैं। क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहते हैं।
ईसाई धर्म की मान्यताओं अनुसार इस दिन यीशु यानि प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इसलिए गिरजाघरों में इस दिन लोग एकत्रित होकर प्रभु यीशु की अराधना करते हैं।
क्रिसमस के इतिहास को लेकर हमेशा से इतिहास कारों में मतभेद रहा है। कई इतिहास-कारों के अनुसार, यह त्योहार प्रभु यीशु के जन्म के बाद से मनाया जाने लगा। तो वहीं कईयों का ऐसा मानना है कि ये पर्व यीशु के जन्म के पूर्व से ही मनाया जा रहा है।
कुछ इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि क्रिसमस पर्व रोमन त्यौहार सेंचुनेलिया का ही नया रूप है। सेंचुनेलिया रोमन देवता है। कहते हैं जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तो उसके बाद से लोगों ने यीशु को ही अपना ईश्वर मानकर सेंचुनेलिया पर्व को ही क्रिसमस डे के रूप में मनाना शुरू कर दिया।
जानकारी के अनुसार सन 98 से लोग इस पर्व को मना रहे हैं। लेकिन सन 137 में टोमन बिशप ने आधिकारिक रूप से क्रिसमस पर्व को मनाने की घोषणा की थी। हालांकि तब इसे मनाने का कोई निश्चित दिन तय नहीं हुआ था। सन 350 में रोमन पादरी यूलियस ने 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में बनाने की घोषणा की।
एक अन्य मान्यता के अनुसार पहले धर्माधिकारी 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाने के लिए तैयार नहीं थे। क्योंकि ये रोमन जाति के एक त्योहार का दिन था, जिसमें लोग सूर्य देवता की आराधना करते थे। इसके बाद लोगों की सहमति बनने के बाद इस त्योहार को मनाने का सिलसिला शुरू हुआ।