Gudi Padwa 2024: जानें क्या है गुड़ी पड़वा और कैसे हुई इसकी शुरूआत

Madhuri Sonkar

हिंदू पंचांग के अनुसार नववर्ष की शुरुआत चैत्र के महीने में होती है। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है। इस नववर्ष को देशभर में अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है।

महाराष्ट्र में मुख्य रूप से हिंदू नववर्ष को नव-सवंत्सर भी कहा जाता है तो कहीं इसे गुड़ी पड़वा के रूप में मनाते हैं। दक्षिणी राज्यों में इसे उगादी कहते हैं। गुड़ी शब्द का अर्थ विजय पताका और पड़वा का अर्थ प्रतिपदा से होता है। इस दिन घरों को सजाया जाता है और उत्सव के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि गुड़ी पड़वा का त्योहार विधि-विधान के साथ मनाने से घर में सुख और समृद्धि आती है। घर के आसपास की निगेटिव एनर्जी पूरी तरह से खत्म हो जाती है। आखिर गुड़ी पड़वा के त्योहार को क्यों और किसलिए मनाया जाता है।

इस दिन को हिन्दू नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। नववर्ष के पहले दिन को पूरे साल का स्वामी माना जाता है। हिंदू नववर्ष की शुरुआत मंगलवार से हो रही है इस कारण नए विक्रम संवत के स्वामी मंगलदेव होंगे।

धार्मिक मान्यता के अनुसार गुड़ी पड़वा के दिन ही ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का काम शुरू किया था। सतयुग का आरंभ भी इसी दिन से हुआ था। सृष्टि का प्रथम दिन या युगादि तिथि भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि रामायण काल में भगवान राम ने चैत्र प्रतिपदा के दिन ही बालि का वध किया था और इसी दिन विजय पताका फहराई थी।

प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री ने अपने अनुसन्धान की रचना भी इसी दिन से की थी। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत की थी। ऐसी मान्यता है कि मुगलों से युद्ध जीतने के बाद छत्रपति शिवाजी ने पहली बार गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया था।

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