Madhuri Sonkar
एक्ट्रेस और मॉडल पूनम पांडेय का आज सुबह (2 फरवरी, 2024) को सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) की वजह से निधन हो गया है। इस दुखद खबर का पूनम पांडेय के ऑफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट से पता चला है। पूनम पांडेय महज 32 साल की थीं।
पूनम की मौत सर्वाइकल कैंसर की वजह से हुई है। सर्वाइकल कैंसर वह कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में शुरू होता है। यह महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे बड़ा कैंसर है।
भारत में महिलाओं के कैंसर में सर्वाइकल कैंसर दूसरे स्थान पर है। साल 2020 में 123,000 से ज्यादा मामले सामने आए जबकि 77,000 मौत हुईं। चलिए जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर क्या है, इसके क्या कारण हैं और इसकी रोकथाम कैसे ही जा सकती है। जिसकी वजह से पूनम की मौत हुई है।
WHO के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर वह कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में शुरू होता है। गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय को योनि से जोड़ती है। सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है। गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर होने से पहले, गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं 'डिसप्लेसिया' नामक परिवर्तनों से गुजरती हैं।
गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों में असामान्य कोशिकाएं दिखाई देने लगती हैं। ऐसे में समय के साथ यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो असामान्य कोशिकाएं कैंसर कोशिकाएं बन सकती हैं और बढ़ने लगती हैं। साथ ही गर्भाशय ग्रीवा और आसपास के क्षेत्रों में अधिक गहराई तक फैल जाती हैं।
सर्वाइकल कैंसर के लक्ष्ण
पानी जैसा या खूनी योनि स्राव
योनि स्राव में दुर्गंध आना
यौन संबंध के बाद योनि से रक्तस्राव
मासिक धर्म के बीच में रक्तस्राव
लंबे समय तक और भारी मासिक धर्म
पैरों में सूजन
पेल्विक हिस्से, लेग्स और बेक पेन
अधिकांश सर्वाइकल कैंसर (90% तक) स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा होते हैं। ये कैंसर एक्टोसर्विक्स की कोशिकाओं से विकसित होते हैं।
सर्वाइकल एडेनोकार्सिनोमा एंडोकर्विक्स की ग्रंथि कोशिकाओं में विकसित होता है। क्लियर सेल एडेनोकार्सिनोमा, जिसे क्लियर सेल कार्सिनोमा या मेसोनेफ्रोमा भी कहा जाता है।
सर्वाइकल कैंसर से बचाव और रोकथाम
रेगुलर स्क्रीनिंग
सेफ सेक्स
वजन कंट्रोल करें
तनाव कम करें
हेल्दी डाइट
नो स्मोकिंग
सीमित अल्कोहल
2020 में अनुमानित 604,000 नए मामलों और 342,000 मौतों के साथ सर्वाइकल कैंसर वैश्विक स्तर पर महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है।
सर्वाइकल कैंसर की सर्वाधिक घटनाएं और मृत्यु दर की उच्चतम दर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में है, जोकि चिंताजनक है। इसकी रोकथाम के लिए लगातार चेकअप कराते रहना चाहिए।