Madhuri Sonkar
नमक और चीनी के सेवन को संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से हानिकारक माना जाता रहा है। इसके अधिक सेवन से डायबिटीज, शरीर में इंफ्लामेशन से लेकर ब्लड प्रेशर और हार्ट की बीमारियों का खतरा हो सकता है।
एक शोध में पता चला है कि भारतीय ब्रांड वाले नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक्स हो सकते हैं। नमक और चीनी चाहे पैक्ड हों या अनपैक्ड लगभग सभी में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए गए हैं। जो कैंसर के कारकों में से एक होता है।
शोधकर्ताओं ने कहा माइक्रोप्लास्टिक्स वाली चीजें कई प्रकार के कैंसर के साथ मस्तिष्क और तंत्रिकाओं से संबधित विकारों को भी बढ़ाने वाली हो सकती हैं। इसको लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है। शोध में फेफड़े, हृदय जैसे मानव अंगों और यहां तक कि स्तन के दूध और अजन्मे शिशुओं में भी माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है।
शोधकर्ताओं ने भारत में बिकने वाले टेबल सॉल्ट, सेंधा नमक, समुद्री नमक और स्थानीय कच्चा नमक जैसे 10 प्रकार के नमकों पर अध्ययन किया। इसके साथ ऑनलाइन और स्थानीय बाजारों से खरीदी गई पांच प्रकार की चीनी का भी परीक्षण किया गया, जिसमें माइक्रोप्लास्टिक जैसे छोटे-छोटे टुकड़े पाएं गए है।
इन माइक्रोप्लास्टिक्स का आकार 0.1 मिमी से 5 मिमी तक था। आयोडीन युक्त नमक में माइक्रोप्लास्टिक्स की उच्चतम मात्रा पाई गई। चीनी के सैंपलों में माइक्रोप्लास्टिक की सांद्रता 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम तक थी, जिसमें सबसे अधिक सांद्रता नॉन-ऑर्गेनिक चीनी में पाई गई।
प्लास्टिक की बोतल में प्रत्येक लीटर पानी में प्लास्टिक के 100,000 से अधिक सूक्ष्म टुकड़े हो सकते हैं। केवल एक बोतल पानी पीने से हम 10 गुना अधिक मात्रा में प्लास्टिक को शरीर में प्रवेश की अनुमति दे रहे होते हैं।