Madhuri Sonkar
ऋचा चड्ढा संजय लीला भंसाली की फिल्म हीरामंडी: द डायमंड बाजार में अपने अभिनय के लिए प्रशंसा बटोर रही हैं। अभिनेता ने नेटफ्लिक्स सीरीज में लज्जो का किरदार निभाया है। कम स्क्रीन टाइमिंग के बावजूद अभिनेत्री दर्शकों के बीच अपनी अमिट छाप छोड़ने में कामयाब रही हैं।
ऋचा से नोरा फतेही की महिला सशक्तिकरण को लेकर हालिया टिप्पणी के बारे में पूछा गया, जहां उन्होंने कहा था कि 'महिलाएं पालन-पोषण करने वाली होनी चाहिए'। इस पर अभिनेत्री ने कहा कि वह इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। ऋचा का मानना है कि महिलाओं को यह बताने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
ऋचा ने कहा, “नारीवाद के बारे में अच्छी बात यह है कि यह उन लोगों को स्वीकार करता है ,जो नारीवाद के लाभ चाहते हैं, लेकिन नारीवादी होने से इनकार करते हैं।
ऋचा ने कहा, नारीवाद की वजह से ही कोई महिला अपना करियर बना पाती है, चुन पाती है, जो मन चाहे वह पहन पाती है, वह काम करती है, जहां वह स्वतंत्र होना चाहती है। इसलिए महिलाओं के यह बताना की उन्हें क्या करना चाहिए, यह काफी गलत है।"
ऋचा ने आगे कहा, “सभी भूमिकाओं को लिंग भूमिकाओं के रूप में नहीं, बल्कि उन्हें एक इंसान के रूप में परिभाषित करना चाहिए। मैं इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हूं कि महिलाओं को ऐसा ही होना चाहिए और नारीवाद सच में बकवास है। मुझे यह सोचकर भी अजीब सा लग रहा है कि लोग ऐसे भी बयान देते हैं।
यह सब तब शुरू हुआ जब नोरा फतेही ने एक शो में कहा था, “नारीवाद। मैं इस बकवास पर विश्वास नहीं करती। असल में, मुझे लगता है, नारीवाद ने हमारे समाज को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। नारीवाद युग ने अब बहुत से पुरुषों का भी ब्रेनवॉश कर दिया है।"