Madhuri Sonkar
उत्तर भारत में मौसम सर्द हो गया है और शीतलहर कोहरे ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। खास तौर पर उत्तर भारत में कई उड़ानों में देरी और रद्द होने से यात्रियों में निराशा और रोष है। ऐसे में ट्रेन से यात्रा करने वालों को इसके मुकाबले आसान यात्रा का अनुभव हो रहा है। इसका कारण है, फॉग पास (Fog Pass)।
भारतीय रेलवे ने सर्दियों के महीनों के दौरान कोहरे के कारण होने वाली देरी और व्यवधानों को कम करने के लिए एक जीपीएस- सक्षम डिवाइस 'फॉग पास' पेश किया है। हर साल घने कोहरे के कारण कई ट्रेनें प्रभावित होती हैं, खासकर देश के उत्तरी हिस्सों में। कुछ मौकों पर देरी 18-19 घंटों तक हो जाती है।
रेलवे ने ट्रेनों में 19,742 'फॉग पास' डिवाइस लगाए हैं, जिनमें से ज्यादातर उत्तरी डिवीजन में चल रही हैं। 'फॉग पास' एक नेविगेशन डिवाइस है जो लोको पायलट को घने कोहरे की स्थिति में नेविगेट करने में मदद करता है।
यह लोको पायलटों को सिग्नल, लेवल क्रॉसिंग गेट (मानवयुक्त और मानव रहित), स्थायी गति प्रतिबंध, तटस्थ सेक्शन जैसी जगहों के बारे में रियल टाइम जानकारी (डिस्प्ले के साथ-साथ वॉइस मार्गदर्शन) प्रदान करता है। डिवाइस अगले तीन आने वाले स्थानों को प्रदर्शित करता है और लगभग 500 मीटर की दूरी पर एक ध्वनि संदेश भी देता है।
सभी प्रकार के सेक्शन के लिए उपयुक्त, जैसे सिंगल लाइन, डबल लाइन, विद्युतीकृत और गैर-विद्युतीकृत अनुभाग।
सभी प्रकार के इलेक्ट्रिक और डीजल इंजनों ईएमयू / एमईएमयू / डीईएमयू के लिए उपयुक्त। 160 किमी प्रति घंटे तक की ट्रेन गति के लिए उपयुक्त।
इसमें 18 घंटे के लिए बिल्ट-इन रीचार्जेबल बैटरी बैकअप है।
यह पोर्टेबल, कॉम्पैक्ट, वजन में हल्का (बैटरी सहित 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं) और मजबूत डिजाइन का है। लोको पायलट अपनी ड्यूटी फिर से शुरू करने पर इस उपकरण को आसानी से अपने साथ लोकोमोटिव तक ले जा सकता है।
रेलवे के मुताबिक, यात्रा शुरू करने से पहले, लोको पायलट को डिवाइस दिया जाता है। एंटीना के साथ पूटा डिवाइस सिग्नल कैप्चर करता है और दो मोड प्रदर्शित करता है स्वचालित और मैनुअल। सिग्नल उस मार्ग को दिखाता है जिस पर ट्रेन चल रही है, और अगर यह काम नहीं करता है, तो इसे मैन्युअल मोड में स्विच किया जा सकता है। यह कुशलतापूर्वक तीन सिग्नलों को सामने प्रदर्शित कर सकता है और लगभग 999 मीटर की दूरी दिखाता है।