PM Modi से Amul ने की PETA पर बैन लगाने की अपील; PETA पर डेरी सेक्टर को बदनाम करने का आरोप

अमूल इंडिया ने पीएम को पत्र लिखकर PETA पर साजिश के तहत मिल्क प्रोडक्ट्स को बदनाम करने का आरोप लगाया है।
PM Modi से Amul ने की PETA पर बैन लगाने की अपील;  PETA पर डेरी सेक्टर को बदनाम करने का आरोप

डेस्क न्यूज़: देश की सबसे बड़ी डेयरी उत्पाद कंपनियों में से एक अमूल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से People for the ethical treatment of animals (PETA) पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। अमूल का आरोप है कि PETA एक साजिश के तहत देश के डेयरी सेक्टर को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। PETA ने हाल ही में अमूल से शाकाहारी दूध और खाद्य उत्पादों का कारोबार शुरू करने का आग्रह किया था।

PETA के देश के डेयरी उद्योग को नुकसान पहुंचाने की कोशिश

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Amul के वाइस चेयरमैन ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर PETA पर देश के डेयरी सेक्टर को बदनाम करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने पत्र में कहा, "देश के सकल घरेलू उत्पाद में डेयरी क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन ऐसे गैर सरकारी संगठनों द्वारा फैलाई जा रही गलत सूचना का सकल घरेलू उत्पाद पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।" पत्र में कहा गया है, 'यह देश के डेयरी उद्योग को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है। यह विदेशी कंपनियों के इशारे पर हो रहा है।'

PETA का असली मकसद सिंथेटिक दूध का उत्पादन कर रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मदद करना

उनके मुताबिक PETA का असली मकसद उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मदद करना है, जो सिंथेटिक दूध का उत्पादन कर रही हैं। उन्होंने बताया है कि डेयरी उद्योग से जुड़े देश के करीब 10 करोड़ लोग दूध के लिए जानवरों के साथ कोई क्रूरता नहीं करते हैं। इस बीच, पेटा इंडिया के सीईओ, मणिलाल वालियेत ने एक बयान में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि डराने से यह तथ्य नहीं बदलेगा कि दुनिया भर में वीगन फूड लोकप्रिय हो रहा है।

क्या होता है वीगन फूड

आपको बता दें कि वीगन फूड का मतलब है कि जानवरों से मिलने वाले किसी तरह के पदार्थ का इस्तेमाल खाने में नहीं करना। वीगन में लोग अंडा, मांस, शहद, दूध, डेयरी प्रोडक्ट्स नहीं लेते। इसमें केवल फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स, दाल, नट्स और सीड्स खाया जाता है। इस डाइट में कच्चे फूड्स खाने पर ज्यादा फोकस होता है। वीगन डाइट फॉलो करने वाले लोग ऐसी किसी भी चीज का सेवन नहीं करते हैं जो पर्यावरण या जानवरों के अस्तित्व के लिए खतरा बने। इनका मानना है कि दूध, अंडे, शहद आदि के लिए लोग जानवरों का शोषण करते हैं, और इसलिए ऐसी फूड हैबिट्स पर रोक लगनी चाहिए।

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