Angrezi Medium Movie Review – सच में अंग्रेजी सीखना जरूरी है?

इरफान ने अपने फैन्स को इस फिल्म में उम्मीद से ज्यादा दिया और एक बार फिर यह साबित कर दिखाया कि उन्हें इस दौर का एफर्टलेस एक्टर क्यों कहा जाता है
Angrezi Medium Movie Review – सच में अंग्रेजी सीखना जरूरी है?

न्यूज –  इरफान खान की वापसी का फैन्स को बेसब्री से इंतजार था। जाहिर है, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़कर इरफान खान ने जबसे इस फिल्म की शूटिंग शुरू की थी, तभी से उनके चाहने वाले फैन्स को बेसब्री से इंतजार था । इसमें कोई दो राय नहीं कि इरफान ने अपने फैन्स को इस फिल्म में उम्मीद से ज्यादा दिया और एक बार फिर यह साबित कर दिखाया कि उन्हें इस दौर का एफर्टलेस एक्टर क्यों कहा जाता है।

चलिए मूवी की कहानी शूरू करते है, कहानी है उदयपुर में बसनेवाले चंपक बंसल यानी की इरफान खान की, जो जानेमाने घसीटाराम मिठाईवाले के पोते के रूप में मिठाई की दुकान चलाता है। बीवी के इंतकाल के बाद उसकी दुनिया अपनी बेटी तारिका यानी की फिल्म की एक्ट्रेस राधिका मदान के आस-पास ही घूमती है।  बेटी का बचपन से सपना है कि वह लंदन पढ़ने जाए।

बेटी को पालने-पोसने और मिठाई की दुकान चलाने के साथ-साथ उसे अपने दूसरे घसीटाराम भाई-बंधुओं के साथ अदालत में नाम और संपत्ति के मुकदमे भी लड़ने पड़ते हैं। इन मुकदमों में उसका कजिन भाई गोपी यानी कि दीपक डोबरियाल उसके लिए जंजाल बना हुआ है। तारिका ग्रैजुएट होने के साथ लंदन जाने के अपने सपने को पूरा करने की चाहत में कॉलेज की टॉपर बनने के लिए कमर कस लेती है।

आखिरकार वह दिन भी आ जाता है, जब तारिका को आगे की पढ़ाई के लिए लंदन जाने का मौका मिल जाता है। अपनी बेटी को बेइंतहा प्यार करने वाला पिता चंपक तारिका के ख्वाबों को हकीकत का जामा पहनाने के लिए उसके साथ चल पड़ता है। इस सफर में गोपी भी उसका साथ देता है, मगर लंदन पहुंचने के बाद हालात कुछ ऐसे बनते हैं, जिनके बारे में चंपक और गोपी ने सोचा भी नहीं था।

अंग्रेजी मीडियम से पहले आई इरफान खान की हिंदी मीडियम में निर्देशक साकेत चौधरी ने भाषा के स्तर पर बंटे हुए समाज के Relevant topic को छुआ था, यहां निर्देशक होमी अदजानिया कुछ कदम आगे बढ़कर यंग जनरेशन के जरिए बाप-बेटी के रिश्ते की पड़ताल भी करते नजर आते हैं।फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत ही एंटरटेनिंग और कसा हुआ है, मगर सेकंड हाफ में कहानी ड्रैग होने लगती है।

जितने समय तक इरफान खान परदे पर रहते हैं, अपने बॉडी लैंग्वेज, कमाल की कॉमिक टाइमिंग, अपने उदयपुरी एक्सेंट और जज्बाती दृश्यों से आपको बांधे रखते है। उनकी अभिनय अदायगी इतनी लाजवाब है कि आपको अहसास ही नहीं होता कि कैंसर जैसी बीमारी से रिकवर होते हुए उन्होंने यह फिल्म शूट की होगी।

बेटी के तौर पर राधिका मदान ने इरफान को हर तरह से कॉमप्लिमेंट किया है, दीपक डोबरियाल ने इरफान के साथ दमदार जुगलबंदी पेश की है। अपनी दमदार स्क्रीन प्रजेंस से करीना आते ही परदे पर छा जाती हैं, पंकज त्रिपाठी छोटे-से रोल में याद रह जाते हैं। सर्पोटिंग एक्ट्रेस में डिंपल कपाड़िया, तिलोत्तमा शोम, रनवीर शौरी, कीकू शारदा सबने मजेदार तरीके से अपने किरदार निभाये है।

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