24 जुलाई को धरती से टकरा सकता है स्टेडियम जितना बड़ा क्षुद्रग्रह, जानिए कैसे बचेगी धरती?

कोरोना संकट, चक्रवाती तूफान, बाढ़ और भूकंप ने हर तरह से तबाही मचा रखी है. इस बीच, अब स्टेडियम जितना विशाल एक क्षुद्रग्रह बहुत तेज गति से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है, जो 24 जुलाई को पृथ्वी से टकरायेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने इसे बेहद खतरनाक बताया है
24 जुलाई को धरती से टकरा सकता है स्टेडियम जितना बड़ा क्षुद्रग्रह, जानिए कैसे बचेगी धरती?

कोरोना संकट, चक्रवाती तूफान, बाढ़ और भूकंप ने हर तरह से तबाही मचा रखी है. इस बीच, अब स्टेडियम जितना विशाल एक क्षुद्रग्रह बहुत तेज गति से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है, जो 24 जुलाई को पृथ्वी से टकरायेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने इसे बेहद खतरनाक बताया है।

स्टेडियम जितना विशाल एक क्षुद्रग्रह बहुत तेज गति से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है

रिपोर्ट के मुताबिक यह विशाल क्षुद्रग्रह आठ किलोमीटर प्रति सेकेंड

यानी करीब 28,800 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी

की ओर आ रहा है. इसके पृथ्वी की ओर बढ़ने की गति इतनी अधिक

है कि यदि कोई ग्रह या वस्तु किसी क्षुद्रग्रह से टकराती है तो वह नष्ट हो

जायगी। नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट (NEO) 20 मीटर चौड़ा है

और 28,70,847,607 किमी की दूरी से दिखाई देगा, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की कुल दूरी का आठ गुना है।

NEO 24 जुलाई की रात को अपोलो नाम की कक्षा से गुजरेगा

NEO 24 जुलाई की रात को अपोलो नाम की कक्षा से गुजरेगा।

हालांकि, इसके पृथ्वी से टकराने की कोई संभावना कम है।

फिर भी, वैज्ञानिकों ने इसे संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रहों की श्रेणी में रखा है।

इसलिए नासा के वैज्ञानिक लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं।

आपको बता दें कि इससे पहले भी क्षुद्रग्रह 2021KT1 पृथ्वी की कक्षा से होकर गुजरा था,

जो कि एफिल टॉवर के आकार के बराबर था।

100 साल में 22 क्षुद्रग्रह बन सकते हैं पृथ्वी के लिए खतरा

क्षुद्रग्रह आमतौर पर बृहस्पति ग्रह की कक्षा में पाए जाते हैं। कुछ क्षुद्रग्रह अन्य ग्रहों की कक्षा में घूमते हुए भी पाए गए हैं और इस ग्रह के साथ-साथ वे सूर्य के चारों ओर भी चक्कर लगाते रहते हैं।

वैज्ञानिकों के पास अब तक करीब दस लाख क्षुद्रग्रहों के बारे में जानकारी है। इनमें से 22 अगले सौ सालों में पृथ्वी के लिए खतरा बन सकते हैं। आर्य भट्ट रिसर्च एंड ऑब्जर्वेशनल साइंस इंस्टीट्यूट, नैनीताल के अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. शशि भूषण पांडे ने बताया कि करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सौर मंडल विकसित हो रहा था, तब गैस और धूल के कुछ बादल जो ग्रहों में विकसित नहीं हुए, बाद में क्षुद्रग्रह बन गए।

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