गलत इरादे: अलकायदा ने तालिबान को जीत पर बधाई दी, कश्मीर को ‘मुक्त’ कराने का किया आह्वान

अलकायदा ने मंगलवार को अफगानिस्तान में जीत पर तालिबान को बधाई दी। बधाई संदेश में 'इस्लाम के दुश्मनों के चंगुल से' कश्मीर और अन्य तथाकथित इस्लामी भूमि की 'मुक्ति' का आह्वान किया। उसके इस बधाई संदेश ने भारत के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद, तालिबान ने घोषणा की कि अफगानिस्तान ने पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है। इसके कुछ घंटे बाद अल-कायदा ने तालिबान को बधाई संदेश भेजा
गलत इरादे: अलकायदा ने तालिबान को जीत पर बधाई दी, कश्मीर को ‘मुक्त’ कराने का किया आह्वान

अलकायदा ने मंगलवार को अफगानिस्तान में जीत पर तालिबान को बधाई दी। बधाई संदेश में 'इस्लाम के दुश्मनों के चंगुल से' कश्मीर और अन्य तथाकथित इस्लामी भूमि की 'मुक्ति' का आह्वान किया। उसके इस बधाई संदेश ने भारत के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद, तालिबान ने घोषणा की कि अफगानिस्तान ने पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है। इसके कुछ घंटे बाद अल-कायदा ने तालिबान को बधाई संदेश भेजा।

क्या है अल कायदा का संदेश?

तालिबान को अल कायदा ने बधाई संदेश का शीर्षक है, 'इस्लामिक

उम्माह को अफगानिस्तान में अल्लाह द्वारा दी गई आजादी

मुबारक।' संदेश में लिखा , 'ओ अल्लाह, लेवंत, सोमालिया, यमन,

कश्मीर और दुनिया के अन्य इस्लामी जमीनों को इस्लाम के दुश्मनों

से आजाद कराओ। ओ अल्लाह, दुनिया भर में मुस्लिम कैदियों को

आजादी दिलाओ।'

अलकायदा ने अपने संदेश में आगे लिखा है कि हम सर्वशक्तिमान और सर्वविद्यमान अल्लाह की तारीफ करते हैं कि उसने अविश्वास के मुखिया अमेरिका को अपमानित किया और उसे शिकस्त दी। हम उनकी तारीफ करते हैं कि उसने अमेरिका को तोड़ दिया और इस्लाम की धरती अफगानिस्तान पर उसे शिकस्त दी है। आगे उसने लिखा है कि निश्चित तौर पर अफगानिस्तान साम्राज्यों की कब्रगाह है। अमेरिका को मात देने के साथ इस देश ने दो दशकों के छोटे से समय में तीन बार अलगाववादी ताकतों को देश से निकाल बाहर किया है।

तालिबान ने किया था अमेरिका से शांति समझौता, ये थी शर्त

15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, क्षेत्रीय विश्लेषकों की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक दक्षिण एशिया में सक्रिय आतंकवादी समूहों की जीत है। फरवरी 2020 में तालिबान और अमेरिका द्वारा हस्ताक्षरित शांति समझौते की शर्तों में से एक यह थी कि अफगान आतंकवादी समूह को सभी आतंकवादी समूहों, विशेष रूप से अल-कायदा के साथ अपने संबंध तोड़ने होंगे। हालांकि, हाल के महीनों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध निगरानी टीम द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने अल-कायदा के साथ अपने संबंधों को तोड़ने या कम करने का कोई सबूत नहीं दिया है।

तालिबान की इस जीत को दुनिया में उत्पीड़ित लोगों के लिए प्रेरणा बताया

अल कायदा ने अमेरिका को शैतान का साम्राज्य कहा है। साथ ही उन्होंने तालिबान की इस जीत को दुनिया में उत्पीड़ित लोगों के लिए प्रेरणा बताया है. उन्होंने कहा है कि ये सभी घटनाएं साबित करती हैं कि जिहाद से ही जीत हासिल की जा सकती है. संदेश में आगे कहा गया है कि आगे के संघर्ष के लिए रास्ता तैयार करने का समय आ गया है। अल्लाह की मदद से हासिल की गई यह ऐतिहासिक जीत मुसलमानों को पश्चिम द्वारा मुस्लिम देशों पर थोपी गई गुलामी से बचने का रास्ता दिखाएगी।

भारत के लिए चिंता

इस बीच भारत को अलकायदा का यह संदेश भी तनाव देने वाला है क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान के उदय के बाद से कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ी हैं। ऐसी खबरें आई हैं कि अचानक कई आतंकियों ने कश्मीर में घुसपैठ कर ली है। वहीं कई आतंकी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में तालिबान की जीत का जश्न मनाते नजर आ चुके हैं.

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