West Bengal Assembly Election 2021 : खुद हारकर भी बंगाल को कैसे जीत लिया ममता बनर्जी ने ?

ममता ने अकले दम पर पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज को करारा जवाब दिया।
West Bengal Assembly Election 2021 : खुद हारकर भी बंगाल को कैसे जीत लिया ममता बनर्जी ने ?
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West Bengal Assembly Election 2021 : ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल (West Bengal Assembly Election 2021) में जीत की हैट्रिक लगा ली है।

एक ऐसी जीत जो पिछले दो बार के मुकाबले बेहद अलग और खास है।

ममता ने अकले दम पर पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज को करारा जवाब दिया।

इस शानदार जीत से ममता का एक बार फिर से अगले पांच सालों के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री बनना तय हो गया है।

तृणमूल कांग्रेस को अब तक 214 सीटों पर जीत मिली है,

जबकि बीजेपी ने 76 सीटों पर बाज़ी मारी है।

वैसे देखा जाए तो बीजेपी को भी इस बार के चुनाव में 73 सीटों का फायदा हुआ है।

West Bengal Assembly Election 2021 : देशभर में इस वक्त हर तरफ ममता बनर्जी की चर्चा है।

सवाल उठता है कि आखिर ममता ने बीजेपी का गेमप्लान कैसे फेल कर दिया।

आखिर कैसे ममता ने सत्ता विरोधी लहर के बावजूद 200 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की।

आईए एक नज़र डालते हैं जीत के उन फैक्टर्स पर जिसने ममता को देश का सबसे बड़ा नेता बना दिया है।

वेलफयर स्कीम

साल 2016 में शानदार जीत दर्ज करने के बाद 2019 में ममता की पार्टी को बीजेपी ने करारा झटका दिया था।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 40 में से 18 सीटों पर जीत मिली थी।

इसके अलावा बीजेपी के खाते में 40 फीसदी से ज्यादा वोट आए थे।

10 साल के दौरान ममता ने गरीबों के लिए कई स्कीम लॉन्च किए,

लेकिन बीजेपी ने इन स्कीम को भ्रष्टाचार करार दिया।

ममता ने महिलाओं के लिए कई स्कीम लॉन्च की

लेकिन 2019 की हार के बाद ममता ने 2021 के लिए कमर कस ली। गरीबों के लिए कई तरह के वेलफेयर स्कीम लॉन्च किए गए। ममता ने द्वारे सरकार और दीदी के बोले जैसे कैंपेन से जनता को ये बताने की कोशिश की गई कि स्कीम मे लोकल नेता गड़बड़ी कर रहे हैं न कि वो। लिहाजा नए सीरे से लोगों के साथ जुड़ने की कोशिश की गई। ममता ने महिलाओं के लिए कई स्कीम लॉन्च की। यही वजह है कि अगर घर के पुरुषों ने बीजेपी को वोट दिया तो महिलाओं ने ममता का साथ दिया।

व्यक्तित्व की लड़ाई

तृणमूल ने चुनाव की लड़ाई को ममता बनर्जी बनाम नरेंद्र मोदी और अमित शाह का बना दिया।  जमीन पर लोगों में तृणमूल को लेकर गुस्सा था। लोग भ्रष्टाचार और हिंसा का आरोप लगा रहे थे। लेकिन लोग इसके लिए स्थानीय नेता को जिम्मेदार ठहरा रहे थे न कि ममता को, ममता के इद-गिर्द ही चुनावी कैंपेन को तैयार किया गया। ये दिखाने की कोशिश की गई कि व्हीलचेयर से भी ममता बड़े नेताओं को चुनौती दे रही है।

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