BIG BREAKING – विकास दुबे एनकाउंटर पर SC ने कहा- जांच कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे

सरकार की तरफ से एडवोकेट तुषार मेहता ने बताया कि मुठभेड़ सही थी. हालांकि, कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार है
BIG BREAKING – विकास दुबे एनकाउंटर पर SC ने कहा- जांच कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे
Updated on

दिल्ली.  विकास दुबे एनकाउंटर केस पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सरकार की तरफ से एडवोकेट तुषार मेहता ने बताया कि मुठभेड़ सही थी. हालांकि, कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार है और इसके लिए ट्रायल होना चाहिए था. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि जांच कमेटी में पूर्व SC जज और एक पुलिस अधिकारी हमारे होंगे.

 कोर्ट में प्रशांत भूषण ने भी पीयूसीएल की ओर से मुठभेड़ पर सवाल उठाए

तुषार मेहता ने कहा मुठभेड़ सही थी. उसकी डिटेल बताते हुए कहा कि वो पैरोल पर था. हिरासत से भागने की कोशिश की. इसके बाद जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि विकास दुबे के खिलाफ मुकदमे के बारे में बताएं. आपने अपने जवाब में कहा है कि तेलंगाना में हुई मुठभेड़ और इसमें अंतर है, लेकिन आप कानून के राज को लेकर ज़रूर सतर्क होंगे. आपने रिटायर्ड जज की अगुआई में जांच भी शुरू की है. प्रशांत भूषण ने भी पीयूसीएल की ओर से मुठभेड़ पर सवाल उठाए हैं.

मीडिया में आए बयानों से भी साफ है कि मुठभेड़ स्वाभाविक नहीं

इसके अलावा संजय पारिख की दलीलों पर कोर्ट ने कहा कि आप सिर्फ विकास दुबे मुठभेड़ के बारे में बात करें. संजय पारिख ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के मीडिया में आए बयानों से भी साफ है कि मुठभेड़ स्वाभाविक नहीं थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि जांच समिति में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और पूर्व पुलिस अधिकारी भी हो सकते हैं.

सीएम, डिप्टी सीएम और पुलिस के बयान की भी होगी जांच

कोर्ट ने ये भी कहा कि ये पहलू भी देखा जाए कि सीएम, डिप्टी सीएम जैसे लोगों ने क्या बयान दिए? क्या उनके कहे मुताबिक, वैसा ही पुलिस ने भी किया? दरअसल याचिकार्ताओ ने एनकाउंटर को लेकर दिए बयानों का हवाला दिया है और इसके आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है।

पुलिस और याचिकाकर्ता ने दाखिल किया था हलफनामा

पुलिस ने विकास दुबे के एनकाउंटर को सही बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। जिसमें कहा था कि, विकास दुबे के एनकाउंटर की तुलना हैदराबाद के रेप आरोपियों के एनकाउंटर से नहीं की जा सकती। तेलंगाना सरकार ने एनकाउंटर की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन नहीं किया था, जबकि यूपी सरकार ने जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाया है।

पुलिस ने बदला लेने के लिए गैंगवार जैसा रवैया अपनाया – याचिकाकर्ता

इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि न्यायिक आयोग का गठन अवैध है। सरकार ने इसके लिए विधानसभा की मंजूरी नहीं ली न ही अध्यादेश पारित किया है। जस्टिस शशिकांत अग्रवाल हाईकोर्ट के रिटायर जज नहीं हैं। उन्होंने विवादास्पद हालात में अपने पद से इस्तीफा दिया था। पुलिस ने 16 साल के प्रभात मिश्रा का भी एनकाउंटर कर दिया। पुलिस ने बदला लेने के लिए गैंगवार जैसा रवैया अपनाया। एनकाउंटर की जांच के लिए जस्टिस शशिकांत की अगुआई में ही एक सदस्यीय आयोग बनाया

Like and Follow us on :

logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com