#BiharElectionResults Live – बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चल रहे मतगणना के अब तक प्राप्त कार्यक्रमों में NDA (राजग) परिवर्तन बनाए रखा गया है।
संसद के अनुसार, 243 सीटों में से राजग बहुमत के आंकड़े को पार करके 127 सीटों पर आगे चल रहा है, जबकि विपक्षी महागठबंधन 102 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
अब तक के रूज़न्स में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है।
भारत निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मतगणना के कार्यक्रमों में भाजपा 72 सीटों पर आगे चल रही है।
बीजेपी की सहयोगी जदयू 48 सीट, हम पार्टी एक सीट समीक्षा पार्टी 6 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
जबकि महागठबंधन से राजद 65 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 21 सीटों पर,
भाकपा-माले 14 सीट, भाकपा 3 माकपा 2 सीटों पर आगे चल रही है।
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी 2 सीटों पर आगे चल रही है।
हालांकि यह प्रारंभिक दौर में आगे-आगे के आंकड़ों में परिवर्तन होना तय है।
बिहार के चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार युवा चेहरा तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य का रास्ता तय करेंगे
हालांकि अब तक सांसदों को लगभग नतीजों के रूप में देखने से लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल फिर से सत्ता से बाहर दिखाई दे रही है।
भले ही राघोपुर से महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा राजद के नेता तेजस्वी यादव अपनी सीट पर बदले बनाए हुए हैं,
लेकिन राजद की हार से तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनने का सपना टूटकर हल्कनाचूर हो जाएगा।
अगर तेजस्वी की कामयाबी नहीं मिल पाती तो कई ऐसे मुद्दे हैं, जो उनकी हार की वजह बन सकते हैं।
बिहार में राजद की हार का मतलब होगा कि उसका मुस्लिम + यादव + युवा समीकरण फेल हो गया है।
महागठबंज़ के तमाम वादों, तेजस्वी यादव की धुआंधार रैलियों के आक्रामक चुनाव प्रचार के बावजूद बिहार में राजद का समीकरण (एम-वाई-वाई) काम नहीं कर पाया।
बीजेपी की हिंदुत्व की छवि के आगे राजद का यह समीकरण नाकाम रहा है।
सीएएपल तलाक जैसे मुद्दों पर मुस्लिम समुदाय को राजद अपने पक्ष में नहीं कर पाया है।
जो उसकी हार का एक कारण हो सकता है।
पीएम मोदी ने तेजस्वी को ‘जंगलराज का युवराज’ बताया था
तेजस्वी की हार के बाद एक सवाल उठेगा कि बिहार की जनता ने वास्तव में उस ‘जंगलराज’ के डर से राजद को राज्य का नेतृत्व करने का मौका नहीं दिया है,
जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी रैलियों में किया।
मोदी ने अपनी हर चुनावी रैली में बिहार की जनता को राजद के कार्यकाल की स्थिति याद दिलाई यहां तक की तेजस्वी को उन्होंने ‘जंगलराज का युवराज’ तक बताया।
ऐसे में माना जा सकता है किराजद के पिछले कार्यकाल की वजह से ही जनता ने जंगलराज के ‘युवराज’ को नकार दिया है।
बिहार में युवा नेता तेजस्वी यादव का 10 लाख नौकरी का वादा नहीं चल रहा
महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था।
हर चुनावी रैली में तेजस्वी ने लोगों को रोजगार की बात की, लेकिन उनका जादू चला नहीं है।
तेजस्वी अपनी रैलियों में भीड़ तो बहुत जुटा पाए, उन्हें नौकरी के साथ तमाम तरह के सपने भी दिखाए,
लेकिन युवा लोगों ने खुली आंखों से उन्हें वोट देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
इसकी वजह यह भी है कि तेजस्वी के 10 लाख के वादे के बदले में बीजेपी ने भी 19 लाख नौकरी देने का स्टिकर चला दिया था।