बीसलपुर झलक उठा, 2 खोले गेट, जयपुर समेत चार जिलों की बुझेगी प्यास..

बीसलपुर बांध इससे पहले वर्ष 2004 ,2006, 2014, 2016 में पुरा भर चुका है।
बीसलपुर झलक उठा, 2 खोले गेट, जयपुर समेत चार जिलों की बुझेगी प्यास..

 डेस्क न्यूज – अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना , हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है, बशीर बद्र की ये पंक्तियां उस समय बिल्कुल सटीक बैठती है जब किसी बांध में महज दो महिने का पानी बचा हो वो आज 4 शहरों की दो साल तक प्यास बुझाने के काबिल बन गया हो और उसमें अब इतना पानी आ गया हो..कि वो अब यूही बेवजह बह रहा है। और हम उस बचा नहीं पा रहे हो..

हम बात कर रहे है राजस्थान की राजधानी, गुलाबी नगरी के नाम से मशहुर जयपुर शहर की लाइफलाइन बीसलपुर बांध की..जयपुर , टोंक, अजमेर और दौसा जिलों की प्यास बुझाने वाला ये बांध पुरा भर गया है। पानी इतना आ गया कि इसके दो गेट खोलने पड़े।

सोमवार शाम 5 बजे गेट नबर 9 व 10 को 50 सेमी तक खोल दिया गया जिसका पानी बनास नदी में जाएगा। बीसलपुर बांध में कुल 18 गेट है। बीसलपुर से छोडा गया पानी बनास नदी से हो कर चंबल में पहुंचता है और वहां से यमुना नदी में फिर गंगा नदी के सहारे बंगाल की खाडी में गिरता है।

त्रिवेणी नदी अभी भी 2 मीटर गेज तक बह रही है, जिसके बाद प्रशासन ने बांध के गेट खोलने का फैसला किया। बीसलपुर बांध का जलस्तर अभी 315.50 मीटर है जो बांध की पुर्ण भराव क्षमता है। बांध का 33.15 फीसदी पानी उपयोग में लिया जाता है जिसमें से 11.20 टीएमसी पानी जयपुर व अन्य जिलों को पेयजल सप्लाई में दिया जाता है। 5 फीसदी पानी अजमेर को दिया जाता है, जबकि 8 फीसदी सिंचाई के लिए आरक्षित है।

बीसलपुर बांध का पुर्ण निर्माण 1999 में पुरा हुआ था। इसके बाद से अब तक बांध के गेट पांचवी बार खोले गए है, वर्ष 2004 ,2006, 2014, 2016 में बांध पुरा भरा था और इसके गेट खोल जा चुके है। 2016 में तो बांध से इतना पानी निकाला गया था कि बीसलपुर बांध को दो बार भरा जा सकता था।

फिलहाल तो जयपुर सहित कई जिलों में पानी की समस्या दो साल के लिए तो हल हो गयी है लेकिन सरकार को स्थाई समाधान की तरफ ध्यान देना ही चाहिए। ताकि लोगों को पेयजल की समस्या ना रहें।

राजस्थान के मानूसन की शानदार बारिश के बाद अभी भी कई बांध ऐसे है जिनमें पानी भी नहीं पहुंचा, एक अखबार में प्रकाशित आकड़ो के मुताबिक राजस्थान के 810 बांधों में से 253 बांध ओवरफ्लो हो चुके है जबकि 359 बांध ऐसे है जिनमें पानी तो है लेकिन उनमें पानी की मात्रा कम है और 198 बांध तो बिल्कुल सूखे पड़े है।

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