8 साल के हिंदू बच्‍चे पर मौत की सजा का खतरा, पाकिस्तान में लगा ईशनिंदा कानून

पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। आधिकारिक अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान में 75 लाख हिंदू रहते हैं। हालांकि, समुदाय के मुताबिक देश में 90 लाख से अधिक हिंदू रहते हैं।
8 साल के हिंदू बच्‍चे पर मौत की सजा का खतरा, पाकिस्तान में लगा ईशनिंदा कानून
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पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। आधिकारिक अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान में 75 लाख हिंदू रहते हैं। हालांकि, समुदाय के मुताबिक देश में 90 लाख से अधिक हिंदू रहते हैं। पाकिस्‍तान के पंजाब प्रांत में एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की वजह बने आठ साल के बच्चे पर पुलिस ने ईशनिंदा कानून के तहत आरोप लगाया है।

पाकिस्‍तान के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब किसी आठ साल के बच्‍चे पर ईशनिंदा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पाक पुलिस ने बच्चे को हिरासत में ले लिया है। ईशनिंदा के आरोपों के तहत उस बच्चे को मौत की सजा हो सकती है।

 कट्टरपंथियों ने मंदिर के सारे शीशे तोड़ दिए और आगे हवाले कर दिया

आरोप है कि इस बच्‍चे ने एक मदरसे की लाइब्रेरी में जाकर कालीन पर पेशाब कर दिया था। वहां पर कई पवित्र पुस्‍तकें रखी हुई थी। इसके बाद स्‍थानीय मौलानाओं ने मुस्लिम कट्टरपंथियों को उकसाया और पुलिस पर कार्रवाई करके का दबाव बनाया। पुलिस ने बच्‍चे को हिरासत में ले लिया लेकिन बाद उसे जमानत दे दी। बच्चे को छोड़ते ही कट्टरपंथी भड़क गए और सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा होकर एक हिंदू मंदिर में जमकर तोड़फोड़ की। कट्टरपंथियों ने मंदिर के सारे शीशे तोड़ दिए और आगे हवाले कर दिया।

बच्चे को ईशनिंदा कानून की कोई जानकारी नहीं

ब्रिटिश न्यूज पेपर गार्डियन ने उस बच्चे के परिवार से सदस्यों से बात की है। परिवार ने कहा, "बच्चे को ईशनिंदा कानून की कोई जानकारी नहीं है। उसपर झूठा आरोप लगाया गया है। उसे अभी भी समझ नहीं आया कि आखिर उसका अपराध क्या था और उसे एक हफ्ते के लिए जेल में क्यों रखा गया था। हम बहुत डरे हुए हैं। हमने अपना घर भी छोड़ दिया है। हमें नहीं लगता कि दोषियों के खिलाफ या यहां रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस और सार्थक कार्रवाई की जाएगी।"

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की सुरक्षा में नाकामी को लेकर अधिकारियों को फटकार

इस पूरे मामले पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की सुरक्षा में नाकामी को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई है। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद ने शुक्रवार को कहा कि मंदिर में तोड़फोड़ की घटना देश के लिए शर्मनाक है क्योंकि पुलिस मूक दर्शक बनी रही।

प्रधान न्यायाधीश ने आठ साल के बच्चे की गिरफ्तारी पर हैरानी जताते हुए पुलिस से पूछा था कि क्या वह इतने छोटे बच्चे की मानसिक हालत को समझ नहीं पाई। पाकिस्तान की संसद ने शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित कर मंदिर पर हमले की घटना की निंदा की थी। मामले में सुनवाई 13 अगस्त तक के लिए टाल दी गई है।

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