अगर आप व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन हैं तो यह खबर आपके काम की है। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा है कि व्हाट्सएप ग्रुप का एडमिन किसी भी सदस्य के अश्लील पोस्ट के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। ग्रुप एडमिन पर गलत या आपत्तिजनक पोस्ट के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
अदालत का यह आदेश पिछले महीने आया। लेकिन इसकी कॉपी अब
उपलब्ध हुई। जस्टिस जेडए हक और न्यायमूर्ति एबी बोरकर की पीठ ने कहा
कि व्हाट्सएप के ग्रुप एडमिन को केवल समूह के सदस्यों को जोड़ने या हटाने
का अधिकार होता है और समूह में डाले गए किसी भी पोस्ट या सामग्री को नियंत्रित करने या ब्लॉक करने की क्षमता नहीं होती।
कोर्ट ने एक व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन किशोर तरोने (33) की याचिका पर यह आदेश सुनाया।
तरोने ने गोंदिया जिले में अपने खिलाफ 2016 में धारा 354-ए (1) (4) (अश्लील टिप्पणी), 509 (महिला की गरिमा भंग करना) और
107 (उकसाने) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में आपत्तिजनक सामग्री का प्रकाशन) के तहत दर्ज
मामलों को खारिज करने का अनुरोध किया था।
हाई कोर्ट ने तरोने के खिलाफ दर्ज FIR और इसके बाद दाखिल आरोपपत्र को खारिज कर दिया।
तरोने पर आरोप था कि वे अपने वॉट्सऐप ग्रुप के उस मेंबर के खिलाफ कदम उठाने में नाकाम रहें जिसने ग्रुप में एक महिला सदस्य के
खिलाफ अश्लील और अमर्यादित टिप्पणी की थी।