बुलंदशहर की कंपनी बिबकोल भी बनाएगी कोवैक्सीन, हर माह 10 लाख डोज होंगे तैयार

देश में इस वक्त कोरोना का कहर चरम पर है, ऐसे में इस महामारी के प्रकोप से बचने के लिए और अगली लहर का डट कर मुकाबला करने के लिए टीकाकरण में तेजी लाना जरूरी है। लेकिन यह संभव नहीं है कि कोई एक कंपनी ही भारत जैसे बड़े देश की वैक्सीन जरूरतों को पूरा कर सके
बुलंदशहर की कंपनी बिबकोल भी बनाएगी कोवैक्सीन, हर माह 10 लाख डोज होंगे तैयार
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देश में इस वक्त कोरोना का कहर चरम पर है, ऐसे में इस महामारी के प्रकोप से बचने के लिए और अगली लहर का डट कर मुकाबला करने के लिए टीकाकरण में तेजी लाना जरूरी है। लेकिन यह संभव नहीं है कि कोई एक कंपनी ही भारत जैसे बड़े देश की वैक्सीन जरूरतों को पूरा कर सके। ऐसे में अलग-अलग कंपनियां जब तक वैक्सीन उत्पादन के क्षेत्र में नहीं उतरेंगी देश की मांग पूरी कर पाना आसान नहीं है।अब भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन को बुलंदशहर स्थित कंपनी बिबकोल भी बनाएगी

भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन को बुलंदशहर स्थित कंपनी बिबकोल भी बनाएगी

इसी को ध्यान में रखते हुए अब भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सीन को

बुलंदशहर स्थित कंपनी बिबकोल भी बनाएगी।

यहां हर माह कोवैक्सीन की 10 लाख डोज का निर्माण किया जाएगा।

इस बात की पुष्टि बिबकोल के जनरल मैनेजर/कंपनी सेक्रेटरी संदीप कुमार लाल ने की। उन्होंने बताया कि यहां हर माह एक मिलियन डोज का उत्पादन होगा। ऑर्डर मिलते ही उत्पादन का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक और बिबकोल के बीच एमओयू साइन हुआ है

स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए 30 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक और बिबकोल के बीच एमओयू साइन हुआ है। अभी तक जैव प्रोद्योगिकी विभाग भारत की कंपनी बिबकोल ( भारत इम्यूनोलॉजिकल्स एंड बायोलॉजिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड) पोलियो वैक्सीन बनाती है। बुलंदशहर के डीएम रविन्द्र कुमार ने कोवैक्सीन बनाने के लिए अधिकृत हुई बिबकोल का निरीक्षण किया। उन्होंने वैक्सीन निर्माण की तैयारियों का भी जायजा लिया।

 बिबकोल एक पब्लिक सेक्टर यूनिट है जिसकी स्थापना 1989 में की गई

बता दें कि बिबकोाल बुलंदशहर के चोला में स्थित है। बिवकोल एक पब्लिक सेक्टर यूनिट है जिसकी स्थापना 1989 में की गई थी। यह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का ड्रीम प्रोजेक्ट था जिसके माध्यम से वह देश को पोलियो वैक्सीन बनाने और आपूर्ति में आत्मनिर्भर करना चाहते थे।

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