डेस्क न्यूज़: GST (वस्तु एवं सेवा कर) अधिकारियों को अब राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही के बारे में वास्तविक समय की जानकारी भी मिलेगी। वाणिज्यिक वाहनों द्वारा उपयोग किए जाने वाले ई-वे बिल सिस्टम को अब FASTag और RFID के साथ एकीकृत कर दिया गया है। यह वाणिज्यिक वाहनों की सटीक ट्रैकिंग और GST चोरी का पता लगाने की अनुमति देगा। यह नया फीचर GST अधिकारियों के ई-वे बिल मोबाइल एप में जोड़ा गया है। इसके जरिए वे ई-वे बिल की वास्तविक जानकारी जान सकेंगे। इससे उन्हें कर चोरी करने वालों और ई-वे बिल सिस्टम का दुरुपयोग करने वालों को पकड़ने में मदद मिलेगी।
GST के तहत 28 अप्रैल, 2018 से व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों के लिए पचास हजार रुपये से अधिक के माल की अंतरराज्यीय बिक्री और खरीद पर ई-वे बिल का बिल और दिखाना अनिवार्य है। ई-वे बिल सिस्टम में देश में औसतन 25 लाख मालवाहक वाहन रोजाना 800 से ज्यादा टोल प्वाइंट से गुजरते हैं।
इस नई प्रक्रिया से अधिकारी उन वाहनों की रिपोर्ट देख सकेंगे जो पिछले कुछ मिनटों में बिना ई-वे बिल के टोल प्वाइंट पार कर गए हैं। साथ ही राज्य के लिए आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले वाहनों के टोल पार करने वाले वाहनों की भी रिपोर्ट देखी जा सकती है। वाहनों के संचालन की समीक्षा करते समय कर अधिकारी इन रिपोर्टों का उपयोग करने में सक्षम होंगे। एमआरजी एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा, 'वाणिज्यिक वाहनों और वस्तुओं की आवाजाही की निगरानी के लिए वाहनों की सटीक जानकारी से कर चोरी को रोकने में मदद मिलेगी।
पिछले महीने सरकार ने एक रिपोर्ट में बताया था कि देश में मार्च 2021 तक यानी पिछले तीन साल के दौरान कुल 180 करोड़ ई-वे बिल जारी किए गए हैं। इनमें से अधिकारी सिर्फ सात करोड़ ई-वे बिल की ही पुष्टि कर कर पाए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, तमिलनाडु और कर्नाटक अंतरराज्यीय आवाजाही के लिए सबसे ज्यादा ई-वे बिल जेनरेट करते हैं।