महंगाई रिकॉर्ड: जयपुर में फिर महंगे हुए पेट्रोल-डिजल, 32 पैसे बढ़ी पेट्रोल की कीमत, 26 पैसे महंगा हुआ डीजल

राजस्थान में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी का दौर फिर शुरू हो गया है। शनिवार को लगातार तीसरे दिन जयपुर में डीजल के दाम 32 पैसे और पेट्रोल के 26 पैसे प्रति लीटर बढ़े हैं। इसके बाद जयपुर में एक लीटर पेट्रोल 109 रुपये 14 पैसे, जबकि डीजल 99 रुपये 77 पैसे प्रति लीटर पर पहुंच गया हैं।
महंगाई रिकॉर्ड: जयपुर में फिर महंगे हुए पेट्रोल-डिजल, 32 पैसे बढ़ी पेट्रोल की कीमत, 26 पैसे महंगा हुआ डीजल

डेस्क न्यूज़- राजस्थान में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी का दौर फिर शुरू हो गया है। शनिवार को लगातार तीसरे दिन जयपुर में डीजल के दाम 32 पैसे और पेट्रोल के 26 पैसे प्रति लीटर बढ़े हैं। इसके बाद जयपुर में एक लीटर पेट्रोल 109 रुपये 14 पैसे, जबकि डीजल 99 रुपये 77 पैसे प्रति लीटर पर पहुंच गया हैं। जो इतिहास में अब तक का सबसे ज्यादा है। पेट्रोल-डीजल की कीमत

और महंगा हो सकता हैं इंधन

दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतों में एक बार फिर से उछाल शुरू हो गया है। इसके चलते कच्चे तेल का बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 78 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गया है। कच्चा तेल 3 साल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इससे पहले सितंबर 2018 में यह 80 डॉलर पर पहुंच गया था। ऐसे में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में और इजाफा हो सकता है।

केंद्र और राज्य सरकारें सूल रही भारी टैक्स

पेट्रोल की कीमतों में 60 फीसदी केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य करों का योगदान है। जबकि डीजल में यह 54 प्रतिशत है। पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 32 रुपये 90 पैसे प्रति लीटर है। जबकि डीजल पर 31 रुपये 80 पैसे प्रति लीटर है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आमतौर पर रोजाना बदलाव होता है। ये कीमतें बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों और विदेशी विनिमय दरों के आधार पर निर्धारित की जाती हैं।

क्यों बढ़ रही है किमत?

पिछले साल अप्रैल में कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी थीं। इससे कच्चे तेल की मांग में गिरावट आई है। लेकिन इस साल टीकाकरण की दर बढ़ने और कोरोना दिशा-निर्देशों में ढील के बाद दुनिया भर में कच्चे तेल की मांग बढ़ी है।

हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का एकमात्र कारण आर्थिक सुधार नहीं है। पिछले महीने तूफान इडा की वजह से अमेरिका में तेल की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई थी। कोरोना की पहली लहर के बाद कीमतों में गिरावट आई थी। इसके बाद ओपेक प्लस, रूस और सऊदी अरब के तेल संगठनों ने आपूर्ति कम कर दी।

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