नौकरी छोड़कर शुरु की लेमन ग्रास की खेती, 5 साल में किया 80 लाख का कारोबार, 100 लोगों को रोजगार से जोड़ा

लखनऊ के समीर चड्ढा पिछले 6 साल से लेमन ग्रास की खेती कर रहे हैं। वे इससे तेल निकालते हैं और पूरे देश में इसकी मार्केटिंग करते हैं। वे हर साल लगभग 2,500 लीटर तेल का उत्पादन करते हैं। उनका सालाना टर्नओवर 80 लाख रुपये है।
Photo | Dainik Bhaskar
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डेस्क न्यूज़- अगर आप कम लागत में खेती से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो लेमन ग्रास एक बेहतर विकल्प है। आप कम समय में और सीमित संसाधनों के साथ अच्छा पैसा कमा सकते हैं। लखनऊ के रहने वाले समीर चड्ढा पिछले 6 साल से लेमन ग्रास की खेती कर रहे हैं। वे इससे तेल निकालते हैं और पूरे देश में इसकी मार्केटिंग करते हैं। वे हर साल लगभग 2,500 लीटर तेल का उत्पादन करते हैं। उनका सालाना टर्नओवर 80 लाख रुपये है। समीर एक किसान परिवार से ताल्लुक रखता है। उन्हें बचपन से ही खेती का शौक रहा है। 12वीं पास करने के बाद वे कृषि से जुड़े। वह अपने परिवार के सदस्यों की मदद करता था। बाद में वह शिक्षा के क्षेत्र में शामिल हो गए। उन्होंने करीब पांच साल तक शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। इसके बाद 2014 से पूरी तरह से खेती में लग गए।

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अश्वगंधा और सतावर की भी कर चुके है खेती

31 साल के समीर बताते हैं कि पहले मैं पारंपरिक खेती करता था। इसने लागत के मुकाबले बहुत अच्छी कमाई नहीं हो रही थी। फसल की कीमत भी बाजार में अच्छी नहीं थी। तब मैंने सोचा कि ऐसी खेती करनी चाहिए जिसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा हो। बहुत शोध करने के बाद मुझे सुगंधित पौधे के बारे में पता चला। वर्ष 2014 में, मैंने अश्वगंधा और सतावर की खेती शुरू की। इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला, लेकिन अच्छी मार्केटिंग नहीं मिल पाई। उसके बाद मुझे लेमन ग्रास के बारे में पता चला। अगले साल यानी 2015 से मैंने लेमन ग्रास की खेती शुरू कर दी।

प्रशिक्षण के बाद शुरु की खेती

समीर ने लेमन ग्रास की फार्मिंग के लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एरोमैटिक प्लांट, लखनऊ (सीआईएमएपी) से तीन दिवसीय प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने एक एकड़ जमीन पर खेती शुरू की। कुछ महीने बाद पौधे तैयार हो गए। इसके बाद उन्होंने इसके पत्तों की मार्केटिंग शुरू कर दी। शुरुआत में उन्होंने स्थानीय स्तर पर और फिर बड़े कारोबारियों को लेमन ग्रास के पत्तों की आपूर्ति शुरू की। इससे उसकी अच्छी खासी कमाई होने लगी। उन्होंने चड्ढा अरोमा फार्म्स नाम से अपनी खुद की कंपनी पंजीकृत की है।

शुरु किया तेल निकालने का काम

समीर कहते हैं कि लेमन ग्रास की खेती करने के बाद मुझे इसके तेल के बारे में जानकारी मिली। इसके तेल की काफी मांग है। खासकर स्वास्थ्य क्षेत्र में।जब ठीक-ठाक कमाई हो गई तो साल 2016 में 2.5 लाख रुपए की लागत से मैंने ऑयल निकालने की एक मशीन लगाई। इसके बाद मैंने पत्तों की मार्केटिंग के साथ-साथ तेल का कारोबार करना शुरू किया। जब हमारी खबरें मीडिया में छपीं तो बड़े-बड़े कारोबारी भी हमारे ग्राहक बन गए। इससे मेरा मनोबल बढ़ा और मैंने धीरे-धीरे खेती का दायरा बढ़ाना शुरू किया। फिलहाल मैं 20 एकड़ जमीन पर लेमन ग्रास की खेती कर रहा हूं।

दूसरे किसानों को दे रहे लेमन ग्रास की खेती

समीर का कहना है कि मैं खुद खेती करने के अलावा दूसरे किसानों को लेमन ग्रास की खेती भी सिखाता हूं। मैंने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित कई राज्यों के किसानों को लेमन ग्रास की खेती का प्रशिक्षण दिया है। मैं हर महीने 20 से 25 किसानों को प्रशिक्षण देता हूं। वर्तमान में हमारे लिए लेमन ग्रास की खेती करने वाले 100 किसान हैं। मैं उन्हें संयंत्र प्रदान करता हूं और फसल तैयार होने के बाद वे मुझे उत्पाद की आपूर्ति करते हैं। इसे प्रोसेस करने के बाद मैं देशभर में मार्केटिंग करता हूं। इससे उन किसानों को अच्छी आमदनी भी होती है। वर्तमान में, मैं हर साल लगभग 2,500 लीटर तेल का विपणन करता हूं।

लेमन ग्रास की खेती कैसे करें?

लेमन ग्रास बिल्कुल घास है। इसकी खेती किसी भी जमीन पर की जा सकती है। इसकी खेती जंगलों में भी की जा सकती है। इसे बरसात के मौसम में लगाना सबसे अच्छा माना जाता है। हालाँकि, आप इसे पूरे साल लगा सकते हैं। एक बार लगाने के बाद इसे किसी सहारे की जरूरत नहीं होती। बारिश का पानी सिंचाई के लिए पर्याप्त है। इसकी फसल बोने के दो से तीन महीने बाद तैयार हो जाती है। यानी इसे काटा जा सकता है। व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। एक बार फसल लगाने के बाद इसका लाभ चार से पांच साल तक लिया जा सकता है। खास बात यह है कि इसकी देखभाल की जरूरत भी न के बराबर है। जंगली जानवर या गाय-भैंस इसे नुकसान नहीं पहुंचाते।

कहा से ले करते हैं प्रशिक्षण?

देश के कई राज्यों में लेमन ग्रास की खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है। पाठ्यक्रम एक दिन से एक सप्ताह तक के होते हैं। यह जानकारी आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से प्राप्त कर सकते हैं। इसका प्रशिक्षण सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एरोमैटिक प्लांट, लखनऊ (सीआईएमएपी), पालमपुर, हिमाचल स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी) से लिया जा सकता है। इसके साथ ही कई किसान इसकी ट्रेनिंग भी देते हैं।

जहां तक प्लांट की बात है। इसकी कीमत बहुत कम है। यह एक रुपये प्रति पौधे से भी कम में उपलब्ध है। किसान इसे कृषि विज्ञान केंद्र से निःशुल्क प्राप्त करते हैं। अभी सरकार इसको लेकर किसानों का उत्साह भी बढ़ा रही है। कई सरकारी संस्थान किसानों को मुफ्त में पौधे उपलब्ध कराते हैं। देहरादून में स्थित सेंटर फॉर एरोमैटिक प्लांट (सीएपी) उनमें से एक है। यहां प्रशिक्षण के साथ-साथ किसानों को पौधा भी उपलब्ध है।

क्यों है लेमन ग्रास की मांग?

लेमन ग्रास एक व्यावसायिक पौधा होने के साथ-साथ एक औषधीय पौधा भी है। इसकी पत्तियों और इसके तेल का उपयोग दवाओं के निर्माण में किया जाता है। यह एंटीऑक्सिडेंट, विरोधी भड़काऊ और एंटीसेप्टिक है। यह सिरदर्द, अनिद्रा और अवसाद को कम करता है। यह इम्युनिटी बूस्टर की तरह भी काम करता है। इसलिए चिकित्सा क्षेत्र में इसकी काफी मांग है। इसके तेल से साबुन, शैंपू, क्रीम और कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। कई बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां सीधे किसानों से फसल या तेल खरीदती हैं।

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