कच्चे तेल की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमत देखने को मिल रही है। जिस कारण पेट्रोल और डीजल के भाव आसमान छू रहे है। इस समस्या के निवारण के लिए भारत, जापान और अमेरिका अपने तेल भंडार खोलने वाले हैं। इन तीनों देशों के इस कदम से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आने की संभावना है। ओपेक देशों के अनुरोध के बावजूद तेल उत्पादक देश कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं। इसने पूरी दुनिया में तेलों की कृत्रिम कमी पैदा कर दी है। इस वजह से पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। इस स्थिति से उबरने के लिए भारत, जापान और अमेरिका ने रणनीति बनाई है। रणनीति के तहत तेल के रिजर्व भंडार खोले जाएंगे और तेल की पर्याप्त आपूर्ति होगी। इससे कीमत में कमी आने की उम्मीद है।
बता दें कि अमेरिका अभी इस कदम की अगुवाई कर रहा है। अमेरिका ने अभी हाल में कई देशों से बात की है और उनसे रिजर्व तेल निकालने का आग्रह किया है। अमेरिका में भी तेल और गैसों की किल्लत है जिससे दाम में तेजी देखी जा रही है। अमेरिका की कोशिश है कि कच्चे तेल के भंडार से तेल रिलीज किया जाए ताकि सप्लाई बढ़ने से कीमतें कम की जा सकें। बात करें भारत की, तो देश के पास पूर्वी और पश्चिमी समुद्र तट पर तीन जगहों पर बने अंडरग्राउंड गुफाओं में 3.8 करोड़ बैरल क्रूड ऑयल स्ट्रेटेजिक रिजर्व यानी आपातकालीन भंडार के रूप में रखा गया है।
भारत अपने कच्चे तेल के इन भंडारों से लगभग 50 लाख बैरल कच्चा तेल निकाल सकता है। इसके बाद इन भंडारों की बाजार में बिक्री मंगलौर रिफाइनरी ऐंड पेट्रो-केमिकल्स और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (HPCL) के द्वारा की जाएगी। ये दोनों कंपनियां पाइपलाइन के द्वारा इस इमरजेंसी रिजर्व से जुड़ी हुई है। रिजर्व भंडारों से कच्चा तेल निकलने के बाद घरेलू बाजार में 7 दिनों में आपूर्ति सुचारू हो सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के इस कदम से बाकी दुनिया भी अपना रिजर्व ऑयल निकाल सकती है। इससे तेल की आपूर्ति बढ़ेगी। आपूर्ति बढ़ने से तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
भारत, जापान और अमेरिका ने साझेदारी में क्रूड रिजर्व से कच्चे तेल के भंडार से मुक्त करने का फैसला किया है। 'रॉयटर्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों देशों में सबसे ज्यादा तेल भंडार अमेरिकी शेयरों से जारी किया जा सकता है। इसमें जापान ने नियम बनाया है कि वह क्रूड रिजर्व से निकाले गए तेल के इस्तेमाल पर रोक लगाएगा। यानी जापान यह तय करेगा कि इन कच्चे तेल का इस्तेमाल कहां किया जाएगा और कैसे किया जाएगा। दुनिया को बड़ी मात्रा में तेल का निर्यात करने वाले ओपेक देश इस समय वैश्विक बाजार में आपूर्ति को धीरे-धीरे बढ़ा रहे हैं, जिससे तेल की कमी बनी हुई है। इस वजह से पूरी दुनिया में तेल और गैस की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो रही है। भारत, जापान और अमेरिका के इस कदम से कीमतों को कम करने में मदद मिल सकती है।
ब्रेंट क्रूड फिलहाल 79.30 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत, दक्षिण कोरिया, जापान और चीन से अपने आपातकालीन भंडार से कच्चा तेल छोड़ने का आग्रह किया है। बाइडेन ने कहा है कि इन देशों को तालमेल रखते हुए अपने भंडार से कच्चा तेल छोड़ना चाहिए। इससे विश्व बाजारों में दहशत का माहौल नहीं बनेगा। अमेरिका से बातचीत के बावजूद ओपेक देश यह मानने को तैयार नहीं हैं कि दुनिया में तेल की किल्लत है। रूस समेत सभी ओपेक प्लस देश दावा कर रहे हैं कि वे लगातार कच्चे तेल की आपूर्ति कर रहे हैं।
ओपेक देशों का कहना है कि वे हर महीने 400,000 बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति कर रहे हैं। बाइडेन ने कहा है कि तेल की मांग को देखते हुए रूस समेत सभी ओपेक देशों को आपूर्ति बढ़ानी चाहिए। ओपेक देशों का तर्क है कि अक्टूबर में कच्चे तेल की जो कीमत थी, वह नवंबर में 7 डॉलर प्रति बैरल कम हुई है।