डेस्क न्यूज़- देश में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत से जनता पहले ही त्रस्त है। वही अब प्याज ने आम आदमी को रुला दिया है।प्याज का स्वाद हुआ और तीखा हो गया हैं। इसके कारण घरेलू बजट भी बिगड़ गया है। दिल्ली में थोक बाजार में प्याज 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है, जबकि इसकी खुदरा कीमत 65 रुपये से 75 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। पिछले एक-डेढ़ महीने में प्याज की कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं।
लगभग 970 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि 2 दिन में हुई हैं
एशिया के सबसे बड़े प्याज बाजार लासलगांव में प्याज का औसत थोक मूल्य पिछले दो दिनों में
लगभग 970 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर
4200 रुपये से 4500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
देश भर में नाशिक के लासलगाँव से प्याज भेजा जाता है।
गोरखपुर में, नासिक से आने वाले प्याज को 45 से 48 रुपये में,
गुजरात के भावनगर से आने वाले प्याज को 40 रुपये में
और बंगाल से आने वाले प्याज को 25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से थोक में बेचा जा रहा है।
प्याज की क्या हैं वजह
दरअसल, कुछ समय पहले महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हुई थी। इसके कारण प्याज की फसल को बहुत नुकसान हुआ,
जिसके कारण थोक बाजार में प्याज की आवक कम हो गई।
इन सभी कारकों के कारण, प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं। यही नहीं, डीजल की कीमतों में वृद्धि के साथ, माल भाड़ा में वृद्धि हुई है।
इसके कारण लगभग सब कुछ महंगा हो गया है।
खाद्य पदार्थों से लेकर निर्माण तक खाद्य पदार्थों की कीमतें 15-20% तक बढ़ गई हैं। आलू और प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का एक कारण डीजल की बढ़ी हुई कीमत है। उपभोक्ता इसके लिए कीमत चुका रहे हैं।
सरकार ने खाद्य पदार्थों को किया नियंत्रण मुक्त
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष ही आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पारित किया गया था। चूंकि बिल पास हो गया है, अनाज, आलू, प्याज, खाद्य तेल जैसी चीजें आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में नहीं आती हैं।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 को 15 सितंबर 2020 को मंजूरी दी गई थी। यह राज्यसभा से भी पारित हो गया है। विधेयक में अनाज, दाल और प्याज जैसे खाद्य पदार्थों को नियंत्रण मुक्त करने का प्रावधान है।