क्रूड 70 डॉलर से सस्ता करने के लिए तेल निर्यातक देशों से बात कर रही केंद्र सरकार, लेकिन मौजूदा सरकार UPA सरकार पर महंगाई का ठिकरा फोड़ रही

पेट्रोल, डीजल और गैस के दाम तब तक ऊंचे रह सकते हैं जब तक क्रूड की कीमत कम नहीं हो जाती, यह स्वाभाविक है। ऐसे में भारत सरकार कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल तक लाने के लिए तेल उत्पादक देशों से बातचीत कर रही है।
Photo | Syed Dabeer Hussain - RE
Photo | Syed Dabeer Hussain - RE

डेस्क न्यूज़- पेट्रोल-डीजल और गैस के दाम तब तक ऊंचे रह सकते हैं जब तक क्रूड की कीमत कम नहीं हो जाती, यह स्वाभाविक है। ऐसे में भारत सरकार कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल तक लाने के लिए तेल उत्पादक देशों से बातचीत कर रही है। सरकार का कहना है कि अगर क्रूड इससे ज्यादा महंगा रहा तो इसका नकारात्मक असर पड़ेगा क्योंकि इससे ग्लोबल इकोनॉमिक रिवाइवल की गति धीमी हो जाएगी। कच्चे तेल की मांग में कमी आएगी, जो पहले से ही इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते इस्तेमाल से दबाव में है। ये बातें सत्ताधारी दल के एक नीति निर्माता ने कही है।

तेल उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए 'उचित' मूल्य जरुरी

कुछ महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले पेट्रोल और डीजल की रिकॉर्ड उच्च कीमतों के बीच पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी प्रमुख तेल उत्पादक देशों के तेल मंत्रियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। पिछले पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के विपरीत, जो दबाव का रास्ता अपनाने के पक्षधर हैं, पुरी उनके सामने बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए बहस कर रहे हैं। पुरी का कहना है कि तेल का ऐसा 'संतुलित' मूल्य होना उचित होगा जो तेल उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए 'उचित' हो।

यूपीए सरकार पर ठिकरा फोड़ रही सरकार

नीति निर्माता ने कहा, "सरकार चाहती है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हों लेकिन हमें अपनी जरूरत का 85% तेल आयात करना होगा। आयात पर इतनी अधिक निर्भरता के चलते पेट्रोल-डीजल के खुदरा मूल्य को कम करने के लिए बहुत कुछ नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा यूपीए सरकार के तेल बांडों का भी बोझ बना रहता है।

सरकार के ज्यादा टैक्स की बजह से भी महंगा इंधन

ब्रेंट क्रूड की कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल के आसपास मँडरा चुकी हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर चल रही हैं। ऐसा उच्च केंद्रीय उत्पाद शुल्क और वैट के कारण हो रहा है। एलपीजी (एलपीजी) की कीमत 900 रुपये से ऊपर चल रही है। इसके अलावा पिछले साल सब्सिडी खत्म होने से घरों का बजट बिगड़ रहा है। सरकार का कहना है कि उत्पाद शुल्क एक निश्चित दर से लगाया जाता है। लेकिन वैट प्रतिशत के रूप में लगाया जाता है, जो आधार दर बढ़ने पर अपने आप बढ़ जाता है।

सरकार का क्या है तर्क?

नीति निर्माता ने कहा, "पिछले साल उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया था जब तेल गिरकर 19 डॉलर प्रति बैरल हो गया था।" इस टैक्स से हम उज्ज्वला योजना के तहत गरीब और कमजोर वर्ग को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन और तालाबंदी के दौरान गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न और गैस प्रदान करने में सक्षम थे। अब मुफ्त टीकाकरण हो रहा है। अब जब सरकार ईंधन पर कर कम करने, उसे जीएसटी के दायरे में लाने की बात कर रही है तो कोई राज्य आगे नहीं आ रहा है। ऐसे में सरकार लोक कल्याणकारी योजनाओं या कोविड पर रोकथाम के उपायों और तेल बांड के भुगतान के लिए पैसा कहां से लाएगी?

सबको नही मिली गैस सब्सिडी

एलपीजी सब्सिडी के संबंध में उन्होंने कहा कि लोगों को उपयोगिताओं और सेवाओं के लिए भुगतान करना होगा। किसी भी तरह की सब्सिडी एक खास वर्ग के लोगों के लिए होती है। इसलिए उज्ज्वला श्रेणी के कनेक्शन वालों को एलपीजी पर सब्सिडी मिलती रहेगी। लेकिन सभी गैस के लिए सब्सिडी वाला सिस्टम दोबारा लागू नहीं किया जाएगा।

Related Stories

No stories found.
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com