डेस्क न्यूज़: भारत सरकार और केयर्न एनर्जी के बीच रेट्रोस्पैक्टिव टैक्स मामला हर दिन नया मोड़ ले सुर्खियां बटोर रहा है। केयर्न एनर्जी ने भारत से करीब 1.72 अरब डॉलर यानि करीब 12,600 करोड़ रुपये की वसूली के लिए अमेरिका में मुकदमा दायर किया है। अब केयर्न ने वसूली के लिए भारत की करीब 5.12 लाख करोड़ डॉलर की विदेशी संपत्ति की पहचान की है। यदि भारत विफल रहता है तो भारत आर्बिट्रेशन अवार्ड का भुगतान ना करने वाली लीग में शामिल हो जाएगा।
केयर्न एनर्जी द्वारा पहचानी गई भारतीय संपत्तियों में एयर इंडिया के हवाई जहाज, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से जुड़े बंदरगाह, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संपत्ति, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के तेल और गैस कार्गो शामिल हैं। इस मामले से वाकिफ तीन सूत्रों ने यह जानकारी दी है। यह भारतीय संपत्ति विभिन्न देशों में स्थित है। हालांकि सूत्रों ने भारतीय संपत्ति से जुड़ी कोई अन्य जानकारी नहीं दी है। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका के बाद केयर्न भी सिंगापुर कोर्ट जाने की योजना बना रही है ताकि आर्बिट्रेशन कोर्ट के फैसले को लागू किया जा सके।
एक सूत्र ने बताया कि भारत सरकार अपनी संपत्ति की जब्ती को चुनौती दे सकती है। लेकिन अगर सरकार को अपनी ये संपत्ति बचानी है तो सरकार को बैंक गारंटी जैसी वित्तीय सुरक्षा देनी होगी। यदि केयर्न के मामले में कोई योग्यता नहीं पाई जाती है, तो अदालत ऐसी गारंटी भारत को वापस कर देगी। लेकिन अगर अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि भारत आर्बिट्रेशन अवार्ड का सम्मान करने में विफल रहा है, तो केयर्न एनर्जी को बैंक गारंटी दी जा सकती है।
दिसंबर 2020 में, केयर्न एनर्जी ने पूर्वव्यापी कर मामले में सरकार के खिलाफ सिंगापुर के ऑर्बिट्रेशन कोर्ट में जीत हासिल की थी। पूर्वव्यापी पुराने कर मामले को संदर्भित करता है। कर विवाद के इस मामले में कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (मध्यस्थता न्यायालय) ने भारत सरकार को 1.2 अरब डॉलर के अलावा ब्याज और जुर्माना राशि चुकाने का आदेश दिया था। अब यह राशि बढ़कर 1.72 अरब डॉलर से अधिक हो गई है। भारत सरकार ने केयर्न एनर्जी को इस राशि का भुगतान नहीं किया है।
केयर्न एनर्जी ने 14 मई को अमेरिकी अदालत में एयर इंडिया के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। केयर्न एनर्जी ने यह मुकदमा न्यूयॉर्क की एक जिला अदालत में दायर किया है। इसने भारत सरकार के खिलाफ दावा जीतकर जीती गई राशि के भुगतान के लिए एयर इंडिया को जवाबदेह बनाने की मांग की है। कंपनी का कहना है कि एयरलाइन कंपनी सरकार के स्वामित्व में है, इसलिए यह कानूनी रूप से सरकार से अलग नहीं है। उनके मुताबिक नाम के लिए भारत सरकार और एयर इंडिया को अलग-अलग मानना गलत है। यह भारत सरकार को केयर्न जैसे लेनदारों से अपनी संपत्ति हासिल करने का एक विनीत तरीका देता है।
आर्बिट्रेशन कोर्ट के आदेश के अनुसार भारत ने ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते का उल्लंघन किया है। अदालत ने कहा कि 2006-07 में भारत में व्यापार के आंतरिक पुनर्गठन पर भारत के कर का केयर्न का दावा सही नहीं है। मध्यस्थता ने सरकार को अपने द्वारा बेचे गए शेयरों की वापसी को वापस लेने, लाभांश को जब्त करने और कर की मांग की वसूली के लिए कर वापसी को रोकने का आदेश दिया।