जम्मू-कश्मीर में हथियार लाइसेंस मामले में सीबीआई ने 22 ठिकानों पर मारे छापे, मुख्य मार्ग सील

सूत्रों के अनुसार  चौधरी ने राजौरी और श्रीनगर के उपायुक्त के तौर पर भी अपनी सेवा दी थी।
जम्मू-कश्मीर में हथियार लाइसेंस मामले में सीबीआई ने 22 ठिकानों पर मारे छापे, मुख्य मार्ग सील

सीबीआई ने शनिवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बंदूक लाइसेंस के फर्जीवाड़े से संबंधित मामलों में प्रदेश के 22 ठिकानों पर छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सीबीआई अधिकारियों ने पुलिस और सीआरपीएफ की मदद से सुबह से कश्मीर संभाग के 12 और जम्मू संभाग के 10 ठिकानों पर छापेमारी की।

उन्होंने बताया कि इन ठिकानों की ओर जाने वाली सभी मुख्य मार्गों को सील कर दिया गया। इन 12 ठिकानों में जनजातीय मामलों के विभाग सचिव, जम्मू-कश्मीर सरकार और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मिशन यूथ जम्मू-कश्मीर और कौशल विकास डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी का श्रीनगर में तुलसी बाग स्थित सरकारी क्वार्टर भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार  चौधरी ने राजौरी और श्रीनगर के उपायुक्त के तौर पर भी अपनी सेवा दी थी।

जम्मू-कश्मीर जिलों के विभिन्न उपायुक्त ने धोखाधड़ी और अवैध रूप से पैसे कमाने के बदले थोक हथियार लाइसेंस जारी किए

अंतिम रिपोर्ट मिलने तक छापेमारी जारी थी। सीबीआई ने मार्च 2020 में कुपवाडा के पूर्व जिला मजिस्ट्रेट भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राजीव रंजन और इतरित हुसैन रफीकी को गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने 2018 में जम्मू-कश्मीर पुलिस से बंदूक लाइसेंस रैकेट की जांच अपने हाथ में ले ली थी। पुलिस प्राथमिकी रिपोर्ट के अनुसार 2012 से 2016 के बीच जम्मू-कश्मीर जिलों के विभिन्न उपायुक्त ने धोखाधड़ी और अवैध रूप से पैसे कमाने के बदले थोक हथियार लाइसेंस जारी किए।

2018 को और जनवरी 2017 और फरवरी 2018 के बीच जारी निजी बंदूक लाइसेंसों को रद्द कर दिया।

वर्ष 2017-18 में बंदूक लाइसेंस रैकेट का भंडाफोड़ किया गया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पाया कि प्रदेश से धोखाधड़ी कर विभिन्न जिला अधिकारियों की ओर से हजारों लाइसेंस जारी किए गये। यह पाया गया कि लाइसेंस पाने वालों में कई लोगों के आपराधिक रिकार्ड हैं। जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल एनएन वोरा ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। राज्यपाल ने 12 जुलाई, 2018 को और जनवरी 2017 और फरवरी 2018 के बीच जारी निजी बंदूक लाइसेंसों को रद्द कर दिया।

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