PM मोदी का संदेश: जानिए क्या बोले मोदी , वैक्सीन लगाने को लेकर जागरूकता बढ़ाने की कोशिश करें

PM मोदी ने कहा कि इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, जानिए क्या क्या बोले मोदी
PM मोदी का संदेश:  जानिए क्या बोले मोदी , वैक्सीन लगाने को लेकर जागरूकता बढ़ाने की कोशिश करें

डेस्क न्यूज़- मोदी ने कहा कि इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है, कोविड अस्पताल बनाने से लेकर आईसीयू बेड्स की संख्या बढ़ाना, वेंटिलेटर बनाने से लेकर टेस्टिंग लैब का नेटवर्क तैयार करना हो, बीते सवा साल में ही देश में एक नया हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है।

मोदी के संबोधन की खास बातें…

18 साल से ऊपर के लोगों को केंद्र की ओर से मुफ्त वैक्सीन लगेगी

एक अच्छी बात रही कि समय रहते राज्य पुनर्विचार की मांग के साथ फिर आगे आए, राज्यों की इस मांग पर हमने भी सोचा कि देशवासियों को तकलीफ न हो, सुचारु रूप से उनका वैक्सीनेशन हो, इसके लिए 16 जनवरी से अप्रैल अंत वाली व्यवस्था को फिर लागू किया जाए, आज ये फैसला लिया गया है कि राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ा जो 25% काम था, उसकी जिम्मेदारी भारत सरकार उठाएगी, ये व्यवस्था दो हफ्ते में लागू की जाएगी।

राज्यों को गाइडलाइंस दीं ताकि वे सहूलियत से काम कर सकें

देश में कोरोना के कम होते मामलों के बीच केंद्र के सामने अलग सुझाव भी आने लगे, मांगें उठने लगीं, पूछा जाने लगा कि सबकुछ भारत सरकार ही क्यों नहीं तय कर रही, राज्य सरकारों को छूट क्यों नहीं दी जा रही, लॉकडाउन की छूट राज्य सरकारों को क्यों नहीं मिल रही है, वन साइज डज नॉट फिट फॉर ऑल की दलील दी गई, कहा गया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है इसलिए इस दिशा में शुरुआत की गई, हमने एक गाइडलाइन बनाकर राज्यों को दी ताकि वे अपनी सुविधा के अनुसार काम कर सकें।

इस लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल

अप्रैल और मई के महीने में ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई, भारत में कभी भी इतनी मात्रा में इतनी ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई, इस जरूरत को पूरा करने केलिए युद्ध स्तर पर काम किया गया, सरकार के सभी तंत्र लगे, ऑक्सीजन रेल, एयरफोर्स, नौसेना को लगाया गया, लिक्विड ऑक्सीजन के प्रोडक्शन में 10 गुना ज्यादा बढ़ोतरी बहुत कम समय में हो गई, दुनिया के हर कोने से जो उपलब्ध हो सकता था, उसे लाया गया, जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया गया, विदेशों में जहां भी दवाइयां उपलब्ध हों, वहां से उन्हें लाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी गई, कोरोना जैसे अदृश्य और रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल है।

इस लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल

अप्रैल और मई के महीने में ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई, भारत में कभी भी इतनी मात्रा में इतनी ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई, इस जरूरत को पूरा करने केलिए युद्ध स्तर पर काम किया गया, सरकार के सभी तंत्र लगे, ऑक्सीजन रेल, एयरफोर्स, नौसेना को लगाया गया, लिक्विड ऑक्सीजन के प्रोडक्शन में 10 गुना ज्यादा बढ़ोतरी बहुत कम समय में हो गई।

जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया गया

दुनिया के हर कोने से जो उपलब्ध हो सकता था, उसे लाया गया, जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया गया, विदेशों में जहां भी दवाइयां उपलब्ध हों, वहां से उन्हें लाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी गई, कोरोना जैसे अदृश्य और रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार कोविड प्रोटोकॉल है, मास्क, दो गज की दूरी और बाकी सावधानियों का पालन ही है।

वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह

लड़ाई में वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह है, पूरी दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां गिनी-चुनी हैं, अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता, पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन हासिल करने में दशकों लग जाते थे। वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था। पोलियो, स्मॉल पॉक्स, हैपेटाइटिस बी की वैक्सीन के लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था।

वैक्सीनेशन के लिए मिशन मोड में काम

2014 में देशवासियों ने हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60% के आसपास था, हमारी नजर में ये चिंता की बात थी, जिस रफ्तार से भारत का टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा था, उस रफ्तार से देश को शत-प्रतिशत टीकाकरण कवरेज हासिल करने में 40 साल लग जाते, हमने इस समस्या के समाधान के लिए मिशन इंद्रधनुष को लॉन्च किया है, हमने तय किया कि इस मिशन के माध्यम से युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन किया जाएगा और देश में जिसको भी वैक्सीनेशन की जरूरत है, उसे वैक्सीन देने का प्रयास होगा। हमने मिशन मोड में काम किया।

WHO के मानकों पर वैक्सीनेशन शुरू किया

वैक्सीन बनने के बाद भी दुनिया के बहुत कम देशों में वैक्सीनेशन शुरू हुआ, ज्यादातर समृद्ध देशों में ये शुरू हुआ, डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीनेशन को लेकर गाइडलाइंस दीं, वैज्ञानिकों ने रूपरेखा बनाई, भारत ने भी अन्य देशों की बेस्ट प्रैक्टिस को और डब्ल्यूएचओ के मानकों पर वैक्सीनेशन शुरू किया।

आगे बढ़ रहे थे कि कोरोना ने घेर लिया

हमने 5-7 साल में ही वैक्सीनेशन कवरेज 60% से बढ़ाकर 90% तक पहुंचा दिया, हमने वैक्सीनेशन की स्पीड और दायरा दोनों बढ़ा दिया, बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नए टीकों को अभियान का हिस्सा बनाया, हमें हमारे देश के बच्चों की चिंता थी, गरीब की चिंता थी, गरीब के बच्चों की चिंता थी, जिन्हें कभी टीका लग ही नहीं पाया, हम सही तरह से आगे बढ़ रहे थे कि कोरोना वायरस ने हमें घेर लिया।

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